रविवार, 7 जून 2020

कवयित्री हेमा चंदानी : ख़ाली रह गई अंजुली

ख़ाली अंजुली में सपनों की दास्तान

हेमा चंदानी अंजुलि के काव्य संग्रह का नाम है- "ख़ाली रह गई अंजुली"। इसी काव्य संग्रह से पेश है एक कविता- 

अगर मिलता साथ तुम्हारा 
तो कुछ लम्हे मैं भी जी लेती
तुम जो कहते तो 
बटोर लाती तुम्हारे लिए सूरज से उजाले 
चुरा लेती फूलों से ख़ुशबू 
ले लेती चंदा से चांदनी उधार 
मांग लेती धरती से एक टुकड़ा आंगन 
और सजा देती उसे अपने प्रेम से 
बसा लेती मैं भी एक दुनिया 
अगर मिलता साथ तुम्हारा

कविताओं के इस दयार में अधूरे सपनों से बार-बार सामना होता है। कई जगह उनके टूटने-बिखरने की अनुगूंज भी सुनाई देती है। मगर उम्मीद की रोशनी क़ायम है। बुलंद हौसले सफ़र पर आमादा हैं। एक ऐसी मंज़िल की जुस्तजू है जो ज़िंदगी की धूप-छांव से गुज़रने के बाद हासिल होती है।

कविता ख़ुद में एक ऐसी निजी अभिव्यक्ति है जिसमें लिखने वाले के दुख-दर्द, उम्मीद, आकांक्षा संघर्ष और सपनों की दास्तान होती है। कविता की सार्थकता इसी बात में है कि वह अपनी निजता से ऊपर उठकर बहुत सारे पाठकों की सोच के साथ अपना एक रिश्ता कायम कर ले। हेमा अंजुलि की कविताएं भी यही करती हैं। ऊपर से देखने में उनके सुख-दुख बेहद निजी लगते हैं। लेकिन उनमें निहित सम्वेदना दूसरों के साथ जुड़ जाने और उन्हें अपने साथ जोड़ लेने की सामर्थ्य रखती है।

इस संग्रह की कविताओं में घर, आंगन, दहलीज, की जानी पहचानी दुनिया है जिसमें मां-बाप, भाई-बहन की आत्मीय मौजूदगी है। उनके साझा सुख-दुख हैं, हर्ष-विषाद हैं। मगर इससे आगे कवयित्री की निगाह भूख, ग़रीबी, चिड़िया और लड़कियों पर भी जाती है। कुछ कविताओं में स्त्री विमर्श का मुखर स्वर भी है। कुल मिलाकर उनकी निगाह अपने समय के सवालों पर जाती है और उनकी कविता के आईने में यह विविधरंगी विषय अपनी मौजूदगी का एहसास कराते हैं।

हेमा चंदानी अंजुलि सम्वेदनशील कवयित्री होने के साथ एक समर्थ अभिनेत्री भी हैं। उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से शास्त्रीय गायन और कत्थक नृत्य का प्रशिक्षण प्राप्त किया है। कई धारावाहिकों का लेखन कर चुकी हैं। रंगकर्म से भी जुड़ी हैं। यह सारी कलाएं उनके काव्य व्यक्तित्व को सशक्त बनाने का काम करती हैं। यह भी स्वागत योग्य बात है कि उन्होंने अब गीत, ग़ज़ल को भी अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया है और उसमें भी नाम कमाया है।

पी वी प्रकाशन कांदिवली पश्चिम द्वारा प्रकाशित इस किताब का मूल्य है ₹150/- इस काव्य संग्रह के लिए मैं उन्हें हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं और उम्मीद करता हूं कि उनकी रचनात्मकता का यह सफ़र इसी तरह कामयाबी की ओर अग्रसर रहेगा।
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देवमणि पांडेय :
बी-103, दिव्य स्तुति, कन्या पाड़ा, गोकुलधाम,
फ़िल्म सिटी रोड, गोरेगांव पूर्व, मुंबई- 400063, 98210-82126
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