सोमवार, 10 मार्च 2014

फागुन आया गाँव में क्या-क्या हुए कमाल






फागुन के दोहे : देवमणि पांडेय

फागुन आया गाँव में, क्या-क्या हुए कमा
आँखों से बातें हुईं , सुर्ख़ हुए हैं गाल

पुरवाई में प्रेम की , ऐसे निखरा रूप
मुखड़ा गोरी का लगे, ज्यों सर्दी की धूप

मौसम ने जादू किया, छलक उठे हैं रँग
गुलमोहर-सा खिल गया, गोरी का हर अंग

साँसों में ख़ुशबू घुली, मादक हुई बयार
नैनों में होने लगी, सपनों की बौछार

मोबाइल पर कर रही, गोरी पी से बात
बिन मौसम होने लगी, आँखों से बरसात

दिल को भाया है सखी, साजन का यह खेल
मुँह से कुछ कहते नहीं, करते हैं ई मेल 

मुड़कर देखा है मुझे, हुई शर्म से लाल
एक नज़र में हो गया, मैं तो मालामाल

रीत अनोखी प्यार की, और अनोखी राह
दिल के हाथों हो गए , कितने लोग तबाह

दिल की दौलत को भला, कौन सका है तोल
मोल यहाँ हर चीज़ का, चाहत है अनमोल


देवमणि पाण्डेय : 98210-82126