बुधवार, 24 अगस्त 2011

कभी रातों में वो जागे : देवमणि पांडेय की ग़ज़ल




देवमणि पांडेय की ग़ज़ल

कभी रातों में वो जागे कभी बेज़ार हो जाए
करिश्मा हो कोई ऐसा उसे भी प्यार हो जाए

मेरे मालिक अता कर दे मुहब्बत में कशिश ऐसी
ज़बां से कुछ नहीं बोलूँ मगर इज़हार हो जाए

मुहब्बत हो गई है तो नज़र आए निगाहों में 
करूँ जब बंद आँखें मैं तेरा दीदार हो जाए

कई दिन तक किसी से दूर रहना भी नहीं अच्छा
कहीं ऐसा न हो ये फ़ासला दीवार हो जाए

यहाँ कुछ लोग हैं जिनको मुहब्बत जुर्म लगती है
मुहब्बत है ख़ता तो ये ख़ता सौ बार हो जाए

मिला है मशवरा हमको कभी ये रोग मत पालो
मगर दिल चाहता है इश्क़ में बीमार हो जाए



गायिका इला अरुण, उद्योगपति रानी पोद्दार और कवि देवमणि पांडेय

देवमणि पांडेय : 98210-82126


गुरुवार, 4 अगस्त 2011

चार गीत : ये है अपना हिंदुस्तान : देवमणि पाण्डेय


देवमणि पाण्डेय के चार गीत

(1) ये है अपना हिंदुस्तान

खिले हैं कैसे कैसे रंग
एक हैं सपने, एक उमंग
देखके तेवर दुनिया दंग
निराला सबसे इसका ढंग
निराली सबसे इसकी शान
ये है अपना हिंदुस्तान.....ये है इंडिया

हाकी, टेनिस, तीरंदाज़ी सबमें रंग जमाया
दिया घुमाके जब क्रिकेट में हाथ वर्ल्ड कप आया
हिम्मत और साहस के दम पर मिली नई पहचान
ये है अपना हिंदुस्तान.....ये है इंडिया

हमने सबको प्यार सिखाया शांतिदूत कहलाए
धूल चटा दें पल में उसको जो हमसे टकराए
यूँ ही तो दुनिया से हमको मिला नहीं सम्मान
ये है अपना हिंदुस्तान.....ये है इंडिया

उम्मीदों का थाम के दामन आगे बढ़ते जाएं
भ्रष्टाचार का नाम मिटा दें भारत नया बनाएं
नेकी का परचम लहराए, सच का हो गुणगान
ये है अपना हिंदुस्तान.....ये है इंडिया



(2) आगे रहेगा हिंदुस्तान

आँधी आए या तूफ़ान... आगे रहेगा हिंदुस्तान
हो चाहे कोई मैदान... आगे रहेगा हिंदुस्तान

सिर्फ़ हवाई बातों से
कुछ न होगा वादों से
लिख देंगे तक़दीर नई
अपने नए इरादों से

रिश्वत, चोरी, भ्रष्टाचार
नहीं रहेगा अत्याचार
आओ अपनी ठोकर से
तोड़ दें नफ़रत की दीवार

सूरज नया उगाएंगे
मिलकर क़दम बढ़ाएंगे
जो भी अब तक नींद में हैं
उनको हमीं जगाएंगे



(3) जो हो जाते कुर्बान

देश की ख़ातिर सरहद पर जो हो जाते क़ुर्बान
ऐसे वीरों से बढ़ती है इस धरती की शान
चलो हम उनको नमन करें
चलो हम उनको याद करें

दुर्गम राहों में भी जिनके क़दम नहीं रुकते
कभी किसी के आगे जिनके शीश नहीं झुकते
वतन की इज़्ज़त की ख़ातिर जो दे देते हैं जान
चलो हम उनको नमन करें
चलो हम उनको याद करें

बोल हिंद की जय दुश्मन से लोहा लेते हैं
भूखे-प्यासे रहकर भी सीमा पर लड़ते हैं
वार झेलते संगीनों के हँसकर सीना तान
चलो हम उनको नमन करें
चलो हम उनको याद करें

इस मिट्टी को माँ समझा है, इससे प्यार किया
जब जब देश पर संकट आया, सबकुछ वार दिया
मातृभुमि को सबसे बढ़कर देते जो सम्मान
चलो हम उनको नमन करें
चलो हम उनको याद करें


(4) मेरी शान है वतन
 


तू मेरी आन-बान मेरी शान है वतन
तुझ पर तो मेरी जान भी क़ुर्बान है वतन

तेरी हरेक चीज़ से हम सबको प्यार है
तू है तो दिल में स्वाभिमान बेशुमार है
हम सबका तू ही धर्म है, ईमान है वतन
तुझ पर तो मेरी जान भी क़ुर्बान है वतन

सुख है यहाँ समृद्दि है, किस शै की है कमी
सबकी नज़र इसीलिए तो तुझपे है जमी
ख़ुशियों से जगमगाता इक जहान है वतन
तुझ पर तो मेरी जान भी क़ुर्बान है वतन

जिस वक़्त तूने दी है सदा हम निकल पड़े
बर्फ़ीली चोटियों पे भी दुश्मन से लड़ पड़े
नज़रों में मेरी सबसे तू महान है वतन
तुझ पर तो मेरी जान भी क़ुर्बान है वतन