शुक्रवार, 20 जून 2014

देवमणि पाण्डेय की ग़ज़ल : कहाँ गई एहसास की ख़ुशबू


        देवमणि पाण्डेय की ग़ज़ल


कहाँ गई एहसास की ख़ुशबू, फ़ना हुए जज़्बात कहाँ 
हम भी वही हैं तुम भी वही हो लेकिन अब वो बात कहाँ

मुमकिन हो तो खोलके खिड़की रोशन कर लो घर-आँगन 
इतने चाँद सितारे लेकर  फिर आएगी रात कहाँ
    
ख़्वाबों की तस्वीरों में अब आओ भर लें रंग नया 
चाँद,समंदर,कश्ती, हम-तु्म ये जलवे इक साथ कहाँ

इक चेहरे का अक्स सभी में ढूँढ रहा हूँ बरसों से 
लाखों चेहरे देखे लेकिन उस चेहरे-सी बात कहाँ 

चमक-दमक में डूब गए हैं प्यार वफ़ा के असली रंग
नए दौर के लोगों में अब हम जैसे जज़्बात कहाँ

मौसम ने अँगड़ाई ली तो मुस्काए कुछ फूल मगर 

मन में धूम मचा दे अब वो रंगों की बरसात कहाँ 




मुम्बई के गुजराती कवियों के साथ देवमणि पाण्डेय (18.5.2014)

देवमणि पाण्डेय :  98210-82126

गुरुवार, 12 जून 2014

देवमणि पांडेय की ग़ज़ल : कश्तियाँ मझधार में हैं



  देवमणि पांडेय की ग़ज़ल


कश्तियाँ मझधार में हैं नाख़ुदा कोई नहीं
अपनी हिम्मत के अलावा आसरा कोई नहीं

शोहरतों ने उस बुलंदी पर हमें पहुँचा दिया
अब जहाँ से लौटने का रास्ता कोई नहीं

जी रहे हैं किस तरह अब लोग अपनी ज़िदगी
जैसे दुनिया में किसी से वास्ता कोई नहीं

मिलके अपने दोस्तों से ख़ुश बहुत होते हैं लोग
पर किसी के दिल के अंदर झाँकता कोई नहीं

कुछ अधूरे ख़्वाब हमसे कर रहे हैं ये सवाल
क्या हक़ीक़त से हमारा राब्ता कोई नहीं

हर जगह हर रोज़ जिसको ढूँढते फिरते हैं लोग

वो ख़ुशी है दिल के अंदर ढूँढता कोई नहीं

 इंदौर में संगीतकार राजेश रोशन, अभय जैन और कवि-संचालक देवमणि पांडेय  (1.2.2014)

देवमणि पाण्डेय : 98210-82126