गीतकार पं. किरण मिश्र : स्मृति को सादर नमन
भक्ति गीतों और नवगीतों के लिए मशहूर गीतकार पं. किरण मिश्र का 16 अप्रैल 2021 को कोरोना से संक्रमित होने के कारण मुम्बई में निधन हो गया था। अपने नवगीतों के लिए साहित्य क्षेत्र में कई पुरस्कार और सम्मान से अलंकृत पं. किरण मिश्र ने कई धारावाहिकों और फ़िल्मों के लिए गीत लिखे थे। बी आर चोपड़ा के धारावाहिक महाभारत का समापन गीत उन्होंने ही लिखा था। संपूर्ण रामायण का 20 खंडों में उन्होंने संकलन किया था। इसके लिए पूर्व राष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा के कर कमलों से उन्हें सम्मानित किया गया था।
5 जुलाई 1953 को अयोध्या में जन्मे पं. किरण मिश्र ने सिनेमा, सीरियल और संगीत के विविध अलबमों के लिए 250 से अधिक गीत लिखे। उनके गीतों को लता मंगेशकर, आशा भोंसले, ऊषा मंगेशकर, जगजीत सिंह, अनूप जलोटा, हरिओम शरण, उदित नारायण, सुरेश वाडेकर, सोनू निगम, आदि प्रतिष्ठित गायकों ने अपनी आवाज़ दी। उनको देश विदेश की अनेक प्रतिष्ठित संस्थाओं ने पुरस्कृत एवं सम्मानित किया। गीत विधा में विशिष्ट योगदान के लिए सन् 2020 में उन्हें थाईलैंड में सम्मानित किया गया था।
पं. किरण मिश्र के छ: काव्य संग्रह प्रकाशित हुए- (1) चुंबक है आदमी, (2) मजीरा, (3) चंद्रबिम्ब, (4) कम्पन धरती, (5) अवधी बयार (6) पंछी भयभीत हैं। नवगीत संग्रह 'कंपन करती धरती' के लिए महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी ने उनको संत नामदेव पुरस्कार प्रदान किया। नवगीत संग्रह 'चुंबक है आदमी 'के लिए पं. किरण मिश्र को घनश्यामदास सराफ साहित्य पुरस्कार प्राप्त हुआ। अवधी साहित्य संस्थान फैज़ाबाद से सम्मान के अलावा अवधी विकास संस्थान लखनऊ ने 'अवधी बयार' काव्य संग्रह के लिए उन्हें अवधी गौरव सम्मान से सम्मानित किया।
पं. किरण मिश्र के पिता पं. दिनेश मिश्र लोकप्रिय कवि और कनक भवन अयोध्या के आचार्य थे। कवि दिनेश जी की कई भक्ति रचनाएं अनूप जलोटा के अलबम में शामिल हैं। मुंबई आने से पहले पं. किरण मिश्र गोरखपुर विश्वविद्यालय के ललित कला विभाग में प्रवक्ता थे। मुंबई में भी कई बार उनके चित्रों की प्रदर्शनी आयोजित हुई। उनसे चित्रकला सीखने वाले शिष्यों की संख्या भी काफ़ी है। उनके एक लोकगीत से हास्य कवि शैल चतुर्वेदी इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उस पर सरयू तीरे नाम से अवधी फ़िल्म बनाई।
पं. किरण मिश्र के गीत तो अच्छे थे ही उनका तरन्नुम भी आकर्षक और दमदार था। सन् 1984 में मुंबई आने पर मैंने पहली बार उन्हें खालसा कालेज के हिंदी कवि सम्मेलन में सुना था। कवि सम्मेलन की समाप्ति पर मैंने उन्हें बधाई दी। उन्होंने मुझे अपना विजिटिंग कार्ड दिया और घर बुलाया। उनके इस स्नेह निमंत्रण पर मैं उनके घर गया। तब से लगातार उनसे मेरी दोस्ती क़ायम रही। वे अजातशत्रु थे। उनका कोई दुश्मन नहीं था। उनकी जीवन संगिनी स्व. उषा मिश्र भी बेहद विनम्र और स्नेही महिला थीं। लैंड लाइन के ज़माने में कई संघर्षरत कलाकार, संगीतकार और गायक बिना फ़ोन किए उनके यहां अचानक आ जाते थे। पति-पत्नी उनकी भरपूर ख़ातिर करते थे। पत्नी के स्वर्गवास के बाद सुपुत्र स्वदेश मिश्र और सुपुत्री स्मिता मिश्रा ने उनका भरपूर ख़याल रखा। अपने इस भरे पूरे परिवार के कारण उन्होंने कभी ख़ुद को अकेला महसूस नहीं किया। मिलनसार स्वभाव के कारण पं. किरण मिश्र अपने गोकुलधाम मोहल्ले में भी बहुत लोकप्रिय थे। यहां के लोग उनका बहुत सम्मान करते थे। अपने पीछे पं. किरण मिश्र गीतों की जो खुशबू छोड़ गए हैं उसकी सुगंध हमेशा महसूस की जाती रहेगी। उनकी पावन स्थिति को सादर नमन।
आपका-
देवमणि पांडेय
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कन्या पाडा, गोकुलधाम, फिल्मसिटी रोड,
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