दोना पावला की प्रेम कथा
गोवा के पणजी (पंजिम) इलाक़े में है दोना पावला बीच।यहाँ एक छोटी सी पहाड़ी है जिसे दोना पावला प्वाइंट कहा जाता है। 22 जनवरी 2011 को इस प्वाइंट पर खड़ा होकर मैं सोच रहा था कि दोना और पावला तो एक ही समुदाय के थे फिर क्यों दुनिया इन दो दिलों के बीच में दीवार बन गई और इन्हें इस पहाड़ी से कूदकर अपनी जान देकर अपनी मुहब्बत का सबूत देना पड़ा। कहा जाता है कि फ़िल्म ‘एक दूजे के लिए’ इसी प्रेम कथा से प्रेरणा लेकर बनाई गई थी।23 जनवरी 2011 गोवा के कंडोलियम बीच पर हाई टाइड के समय दोस्तों के साथ नहाते हुए ये महसूस किया कि अगर आप सीना तानकर लहरों का सामना करेंगे तो समंदर आपको ज़ोर से पटक देगा।बेहतर है आप अपनी पीठ पर लहरों को सवार होने दीजिए और किनारे की तरफ़ ज़रा सा सिर झुका दीजिए।लहरें आपको थपथपाकर वापस लौट जाएंगी।
21 जनवरी 2011 रात 12 बजे गोवा के बागा बीच पर ओसियानिक शैक (सी फेस रेस्तराँ) पर डिनर करते हुए हमने वेटर से पूछा-तुम्हारी ड्यूटी कितने बजे तक है।उसने बताया-मेरी ड्यूटी सुबह 4.30 बजे तक है।मगर 4.30 बजे ये सामने दिख रहा टीटो पब बंद होता है तो सारे लड़के-लड़कियाँ इधर ही आ जाते हैं।फिर उन्हें खिलाने- पिलाने में एक घंटे और निकल जाते हैं तो मैं सुबह 6.00 बजे ही यहाँ से निकल पाता हूँ।इस तरह गोवा रात भर जागता है और दिन में सोता है।
ओल्ड गोवा में म्यूज़ियम के सामने है गोल्डेन चर्च।इसमें एक ममी है।बताते हैं कि यह 600 साल पुरानी है।इस वक़्त गोवा में कैसिनो की बहार दिखाई देती है।समंदर के अंदर जहाज पर भी कैसिनो की रंगीन दुनिया आबाद रहती है।लोग लाखों रूपये लेकर इनमें प्रवेश करते हैं और प्रायः ख़ाली हाथ वापस आते हैं। गोवा की प्राचीन नदी का नाम है माण्डवी।कभी यह नदी अपनी पवित्रता और लोक संस्कृति के लिए मशहूर थी। अब इसके सीने पर तैरती हुई नौकाओं पर रात-रात भर जुआ खेला जाता है। लोक नृत्यों की जगह वेस्टर्न डांस ने ले ली है।यहाँ के प्रतिष्ठित कवि यूसुफ शेख़ ने अपनी मातृभाषा कोंकणी में माण्डवी नदी पर एक मर्मस्पर्शी कविता लिखी है।इसका हिंदी अनुवाद आपके लिए प्रस्तुत है।
मांडवी के तट पर चलते-चलते
नज़रों के आगे आए हैं कुछ चौंकाने वाले चित्र
और साक्षी बना हूँ मैं भी इन विचित्र हालातों का
थम गया दिमाग़ और दिल से ये आवाज़ आई-
जिस युगांत में तुम जन्मे हो, युग है बहुत महान
ऐ भाग्यवान इंसान ! अपने कर्तव्यों को जान..............
यह जीवन तो सुविधाओं से भरा हुआ है
इस युग में बेहतर बनने की आज़ादी है
अपनी सीमित सोच हटाकर
आस-पास को अच्छा रखकर
देना होगा इस पर ध्यान -
ऐ भाग्यवान इंसान ! अपने कर्तव्यों को जान..............
हवा से ज़्यादा तेजी से तुम भाग रहे हो
अधिकारों पर कब्ज़ा करते
और स्वार्थ को गले लगाते
आज सितारों जैसे तुम तो चमक रहे हो
सूरज की रोशनी में दिखते हैं जो
उन लोगों की क्या हालत है ! इसे कभी तुम देख न पाए
दुर्दशा...
चित्र दुर्दशा का तुमने तो उल्टा करके ही देखा है
इसी लिए तो तुम्हें लगा कि यहाँ स्वर्ग-सुख छाया है
मगर तुम्हारी स्वर्गभूमि पर
महँगाई निर्धन जनता को चिढ़ा रही है
पीड़ित लोगों को भी पीड़ा सता रही है
मगर तुम्हारी बात ही क्या है
तुम तो करते हो हर दिन अमृत स्नान
ऐ भाग्यवान इंसान ! अपने कर्तव्यों को जान..............
मांडवी की तुमने ऐसी दशा बदल दी
गोद में उसकी नहीं रहे वो गीत सुरीले
गाँव-गाँव में लोग सभी जिनको गाते थे
जो सदियों से हम सबको बहलाते थे
आम आदमी को तो मांडवी लगी चिढ़ाने
पावन जल में खेल पाप के लगी दिखाने
आज मांडवी सजी हुई है
बन गई है कितनी अमीर यह
मगर कहीं से ख़बर न आती
अपनी कमाई किसे खिलाती
गांव गांव में घूमट ढोल बजाने वाले
खोए-खोए दिखने लगे हैं
आज अस्मिता के रखवाले भी
थके-थके से लगने लगे हैं
पुरखों की ज़मीन हाथों से निकल रही है
कैसे बेघर दिन बीतेंगे
घर की चिंता सता रही है
खोने से पहले ये जवानी सोच-समझ ले
बुरे ख़यालों को अपने तू अभी बदल दे
पता है तुझको इस दुनिया में
हम हैं कुछ दिन के मेहमान
ऐ भाग्यवान इंसान ! अपने कर्तव्यों को जान..............
महान युग के धनी हैं हम सब
रगों में सबकी भरे हुए हैं गुण महानता के ही सारे
छोड़ मोतियों की दौलत को
भटक रहे हैं मारे-मारे
इस युग की इस तेज़ दौड़ में
भाग रहें हैं दिन तेजी से
हमें बदलनी दिशा दौड़ की
थके हुए सब इंसानों को
सुख के झूले में है झुलाना
याद रखो, ये प्राण त्याग कर
इक दिन हम सबको है जाना
ऐ भाग्यवान इंसान ! अपने कर्तव्यों को जान..............
आपका
देवमणिपांडेय
सम्पर्क : बी-103, दिव्य
स्तुति,
कन्या पाडा, गोकुलधाम,
फिल्मसिटी रोड,
गोरेगांव पूर्व,
मुम्बई-400063, 98210-82126