देवमणि पाण्डेय के चार गीत
(1) ये है अपना हिंदुस्तान
खिले हैं कैसे कैसे रंग
एक हैं सपने, एक उमंग
देखके तेवर दुनिया दंग
निराला सबसे इसका ढंग
निराली सबसे इसकी शान
ये है अपना हिंदुस्तान.....ये है इंडिया
हाकी, टेनिस, तीरंदाज़ी सबमें रंग जमाया
दिया घुमाके जब क्रिकेट में हाथ वर्ल्ड कप आया
हिम्मत और साहस के दम पर मिली नई पहचान
ये है अपना हिंदुस्तान.....ये है इंडिया
हमने सबको प्यार सिखाया शांतिदूत कहलाए
धूल चटा दें पल में उसको जो हमसे टकराए
यूँ ही तो दुनिया से हमको मिला नहीं सम्मान
ये है अपना हिंदुस्तान.....ये है इंडिया
उम्मीदों का थाम के दामन आगे बढ़ते जाएं
भ्रष्टाचार का नाम मिटा दें भारत नया बनाएं
नेकी का परचम लहराए, सच का हो गुणगान
ये है अपना हिंदुस्तान.....ये है इंडिया
(2) आगे रहेगा हिंदुस्तान
आँधी आए या तूफ़ान... आगे रहेगा हिंदुस्तान
हो चाहे कोई मैदान... आगे रहेगा हिंदुस्तान
सिर्फ़ हवाई बातों से
कुछ न होगा वादों से
लिख देंगे तक़दीर नई
अपने नए इरादों से
रिश्वत, चोरी, भ्रष्टाचार
नहीं रहेगा अत्याचार
आओ अपनी ठोकर से
तोड़ दें नफ़रत की दीवार
सूरज नया उगाएंगे
मिलकर क़दम बढ़ाएंगे
जो भी अब तक नींद में हैं
उनको हमीं जगाएंगे
(3) जो हो जाते कुर्बान
देश की ख़ातिर सरहद पर जो हो जाते क़ुर्बान
ऐसे वीरों से बढ़ती है इस धरती की शान
चलो हम उनको नमन करें
चलो हम उनको याद करें
दुर्गम राहों में भी जिनके क़दम नहीं रुकते
कभी किसी के आगे जिनके शीश नहीं झुकते
वतन की इज़्ज़त की ख़ातिर जो दे देते हैं जान
चलो हम उनको नमन करें
चलो हम उनको याद करें
बोल हिंद की जय दुश्मन से लोहा लेते हैं
भूखे-प्यासे रहकर भी सीमा पर लड़ते हैं
वार झेलते संगीनों के हँसकर सीना तान
चलो हम उनको नमन करें
चलो हम उनको याद करें
इस मिट्टी को माँ समझा है, इससे प्यार किया
जब जब देश पर संकट आया, सबकुछ वार दिया
मातृभुमि को सबसे बढ़कर देते जो सम्मान
चलो हम उनको नमन करें
चलो हम उनको याद करें
देश की ख़ातिर सरहद पर जो हो जाते क़ुर्बान
ऐसे वीरों से बढ़ती है इस धरती की शान
चलो हम उनको नमन करें
चलो हम उनको याद करें
दुर्गम राहों में भी जिनके क़दम नहीं रुकते
कभी किसी के आगे जिनके शीश नहीं झुकते
वतन की इज़्ज़त की ख़ातिर जो दे देते हैं जान
चलो हम उनको नमन करें
चलो हम उनको याद करें
बोल हिंद की जय दुश्मन से लोहा लेते हैं
भूखे-प्यासे रहकर भी सीमा पर लड़ते हैं
वार झेलते संगीनों के हँसकर सीना तान
चलो हम उनको नमन करें
चलो हम उनको याद करें
इस मिट्टी को माँ समझा है, इससे प्यार किया
जब जब देश पर संकट आया, सबकुछ वार दिया
मातृभुमि को सबसे बढ़कर देते जो सम्मान
चलो हम उनको नमन करें
चलो हम उनको याद करें
(4) मेरी शान है वतन
तू मेरी आन-बान मेरी शान है वतन
तुझ पर तो मेरी जान भी क़ुर्बान है वतन
तेरी हरेक चीज़ से हम सबको प्यार है
तू है तो दिल में स्वाभिमान बेशुमार है
हम सबका तू ही धर्म है, ईमान है वतन
तुझ पर तो मेरी जान भी क़ुर्बान है वतन
सुख है यहाँ समृद्दि है, किस शै की है कमी
सबकी नज़र इसीलिए तो तुझपे है जमी
ख़ुशियों से जगमगाता इक जहान है वतन
तुझ पर तो मेरी जान भी क़ुर्बान है वतन
जिस वक़्त तूने दी है सदा हम निकल पड़े
बर्फ़ीली चोटियों पे भी दुश्मन से लड़ पड़े
नज़रों में मेरी सबसे तू महान है वतन
तुझ पर तो मेरी जान भी क़ुर्बान है वतन
9 टिप्पणियां:
सुख है यहाँ समृद्दि है, किस शै की है कमी
सबकी नज़र इसीलिए तो तुझपे है जमी
ख़ुशियों से जगमगाता इक जहान है वतन
तुझ पर तो मेरी जान भी क़ुर्बान है वतन ....
jai baba baanaras...
देवमणि जी अफ़सोस की बात है के हम सिर्फ पंद्रह अगस्त और छब्बीस जनवरी को ही अपने वतन को याद करते हैं अगर रोज करें तो घोटाले बाजों, जमाखोरों, लुटेरों की मजाल है जो इसे बर्बाद करने की जुर्रत करें?
आपके गीतों में देश प्रेम का ज़ज्बा उफान पर है. बधाई स्वीकारें.
नीरज j
मैं नीरज जी की बात से सौ प्रतिशत सहमत हूँ
देवमणि जी,
आपके ओज भरे गीतों के लिए आपको बधाई। सच है हमारी आजादी के लिए जिन्होंने अपना सबकुछ वार दिया उन्हें याद करने और सलाम करने का दिन है।
कितना अच्छा लगता कि आज के बच्चे और युवा अपने वतन के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा रखते और आपके इन ओज भरे गीतों को गाते हुए प्रभात फेरी पर निकलते। लेकिन समय बदल गया है। अब यह पढ़ी आजादी के दिन का इंतजार इसलिए करती है कि एक दिन का अवकाश मिलेगा। लेकिन आजादी के जज्बे को जिंदा रखने के लिए आपके इन गीतो की भी जरूरत है।
- डॉ. रत्ना वर्मा
AAPKE GEETON MEIN JO DESH PREM KEE
JO BHAVNA HAI USSE HAR DESHWAASEE
ANUPRERIT HO . IN GEETON KO BAAR -
BAAR GUNGUNAANE KO JEE KARTA HAI .
सुन्दर भावाभिव्यक्ति .स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
सुन्दर भावाभिव्यक्ति .स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
देवमणि जी ,
नमस्कार . आपके गीतों में देशभक्ति का जो ज़ज्बा है , उसे मेरा सलाम , आप बहुत अच्छा लिखते है .. दिल से बधाई स्वीकार करे.
आभार
विजय
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कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
प्रणाम !
देरी से प्रतिक्रिया के लिए क्षमा !
आपके गीतों में देशभक्ति का जो ज़ज्बा है , उसे सलाम , आप बहुत अच्छा लिखते है .. दिल से बधाई स्वीकार करे. !~सभी गीत अपने आप में बेमिसाल है , बधाई म साधुवाद
सादर
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