बुधवार, 9 सितंबर 2020

दुष्यंत कुमार : हिंदी ग़ज़ल में मील का पत्थर


दुष्यंत कुमार और हिंदी ग़ज़ल 

दुष्यंत कुमार ने ख़ासतौर से हिंदी ग़ज़ल को तीन चीज़ें दी- कथ्य यानी अंतर्वस्तु, तेवर यानी अंदाज़ ए बयां और भाषा। दुष्यंत की लोकप्रियता बेमिसाल है। उन्हें हिंदी ग़ज़ल में मील का पत्थर माना गया। इसलिए 'साए में धूप' से हिंदी ग़ज़ल के विकास क्रम को रेखांकित करना बेहतर होगा। हमारे कुछ समालोचक निराला से हिंदी ग़ज़ल की शुरुआत मानते हैं यह ठीक नहीं है। कहा जाता है कि निराला जी ने ज़िद में आकर बीस-बाईस ग़ज़लें कही थीं। प्रयोगधर्मी निराला ने ऐसे अनगढ़ शेर भी लिखे हैं जिन्हें पढ़कर लोग हंसते हैं-

पेड़ टूटेंगे, हिलेंगे, जोर से आँधी चली,
हाथ मत डालो, हटाओ पैर, बिच्छू बिल में है

निराला का सबसे मशहूर शेर है-

खुला भेद विजयी कहा हुए जो
लहू दूसरों का पिए जा रहे हैं

यह अभिव्यक्ति हिंदी कविता का अंग तो है मगर इसमें ग़ज़ल के अंदाज ए बयां की ख़ूबसूरती नहीं है। इसलिए निराला को हिंदी ग़ज़ल का पितामह साबित करना मुझे उचित नहीं लगता। सिर्फ़ अंतर्वस्तु के दम पर हिंदी ग़ज़ल विकास नहीं कर सकती। उसे ज़बान भी चाहिए और अंदाज़ ए बयां भी चाहिए। जिस परंपरा से हमें ग़ज़ल हासिल हुई है उसमें ये माना जाता है कि - "ग़ज़ल में क्या कहा गया, इससे ज़्यादा महत्वपूर्ण है कि कैसे कहा गया।"

दुष्यंत कुमार की रचनात्मकता को नमन करते हुए उनके दो शेर पेश हैं-


हमने तमाम उम्र अकेले सफ़र किया
हम पर किसी ख़ुदा की इनायत नहीं रही

हिम्मत से सच कहो तो बुरा मानते हैं लोग
रो रो के बात कहने की आदत नहीं रही

अगर हिंदी ग़ज़ल को अपना मुक़ाम हासिल करना है तो उसे दुष्यंत कुमार जैसी सहज ज़बान, उनके जैसा सामयिक कथ्य और उनके जैसा असरदार तेवर अपनाना होगा।

सोमवार 13 अगस्त 2012 को भोपाल के दुष्यंत कुमार स्मारक पांडुलिपि संग्रहालय में मेरा एकल काव्यपाठ आयोजित किया गया था। शुरुआत में मैंने हिंदी ग़ज़ल में दुष्यंत कुमार के योगदान को रेखांकित किया। मैंने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि व्यवस्था के प्रतिरोध के अलावा दुष्यंत कुमार ने कई ऐसे अद्भुत शेर लिखे हैं जिनकी तरफ़ लोगों का ध्यान कम ही गया है। ऐसा ही उनका एक शेर है-

किसी को क्या पता था इस अदा पर मर मिटेंगे हम 
किसी का हाथ उट्ठा और अलकों तक चला आया

कविता पाठ के इस कार्यक्रम में वरिष्ठ शायर ज़हीर क़ुरेशी, तिलकराज कपूर, अनवारे इस्लाम, कवयित्री सुषमा तिवारी, कथाकार हरि भटनागर, हिन्दी सेवी केशव राय और आकाशवाणी भोपाल के उदघोषक राजुरकर राज जैसे कई गणमान्य लोग मौजूद थे। 

उल्लेखनीय है कि इस संग्रहालय में ग़ज़लकार दुष्यंत कुमार की हस्तलिपि, घड़ी, और कोट के साथ ही देश के तमाम नामचीन कवियों की हस्तलिपियां और उनसे जुड़ी कई महत्वपूर्ण चीजें मौजूद हैं। अब मैं भी इस संग्रहालय का हिस्सा बन गया हूं। मेरे काव्य पाठ की वीसीडी, मेरी हस्तलिपि और मेरी हस्तरेखाएं यहां संग्रहीत कर दी गईं हैं।


आपका-
देवमणि पांडेय

सम्पर्क : बी-103, दिव्य स्तुति, कन्या पाडा, 
गोकुलधाम, फिल्मसिटी रोड, गोरेगांव पूर्व, 
मुम्बई-400063, M : 98210 82126
devmanipandey.blogspot.com

कोई टिप्पणी नहीं: