बुधवार, 3 नवंबर 2021

सफ़र इक ख्वाब का : अभिलाष का काव्य संग्रह

तेरा ख़याल ही काफी है उम्र भर के लिए

'इतनी शक्ति हमें देना दाता' इस लोकप्रिय प्रार्थना गीत के गीतकार अभिलाष का काव्य संग्रह 'सफ़र इक ख्वाब का' प्रकाशित हुआ है। इसमें अभिलाष की ग़ज़लें और नज़्में शामिल हैं। निर्माता-निर्देशक अभिनेता धीरज कुमार के अनुसार यह एक ऐसे कवि का सफ़रनामा है जो पिछले 42 सालों से मुंबई की माया नगरी में क़लम के सहारे अपने वजूद की हक़ीक़त तलाश कर रहा था। अभिलाष की रचनाओं में वही ताज़गी, सादगी और फ़िलासफ़ी है जो उनके निजी जीवन में भी झलकती रही।

गीतकार अभिलाष का जन्म 13 मार्च 1946 को दिल्ली में हुआ। दिल्ली में उनके पिता का व्यवसाय था। वे चाहते थे कि अभिलाष व्यवसाय में उनका हाथ बटाएं। लेकिन ऐसा संभव नहीं हुआ। छात्र जीवन में बारह साल की उम्र में अभिलाष ने कविताएं लिखनी शुरू कर दी थीं। मैट्रिक की पढ़ाई के बाद वे मंच पर भी सक्रिय हो गए। उनका वास्तविक नाम ओम प्रकाश कटारिया है। उन्होंने अपना तख़ल्लुस 'अज़ीज़' रख लिया। ओमप्रकाश' अज़ीज़' के नाम से उनकी ग़ज़लें, नज़्में और कहानियां कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं। 'अज़ीज़' देहलवी नाम से अभिलाष ने मुशायरों में शिरकत की। मन ही मन साहिर लुधियानवी को अपना उस्ताद मान लिया।

दिल्ली के एक मुशायरे में साहिर लुधियानवी पधारे। नौजवान शायर 'अज़ीज़' देहलवी ने उनसे मिलकर उनका आशीर्वाद लिया। साहिर साहब को कुछ नज़्में सुनाईं। साहिर ने कहा- मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं तुम्हारे मुंह से अपनी नज़्में सुन रहा हूं। तुम अपना रास्ता अलग करो। ऐसी ग़ज़लें और नज़्में लिखो जिसमें तुम्हारा अपना रंग दिखाई पड़े। 

इस किताब की नज़्में पढ़ते हुए साहिर का अंदाज़ ए बयां याद आना स्वाभाविक है। अभिलाष जी की नज़्म 'क़ैद' की कुछ लाइनें देखिए- 


सिलसिले कितने बने और बन के टूट गए 

मैं तेरी याद की ज़िंदां से रिहा हो न सका 

उम्र भर ग़म में जला फिर भी तक़ाज़ा मुझसे 

तेरी इक पल की मुहब्बत का अदा हो न सका


साहिर का मशवरा मानकर ओमप्रकाश अज़ीज़ जब गीतकार अभिलाष बन गए तो उनकी नज़्मों में उनका अपना रंग नज़र आया। 'सफ़र इक ख़्वाब का' नज़्म की चंद लाइनें देखिए-


शानो-शौक़त जिसे महलों की न रास आई कभी 

ज़िन्दगी अपनी बसर जिसने की नादारों में 

पा लिया जिसने ख़ुद अपने को मैं वो गौतम हूं

क़ैद जो हो न सका, ऐश की दीवारों में 


मैं ही गांधी हूं, अहिंसा का निगहबान हूं मैं

मुझको पाओगे सदाक़त के तरफ़दारों में



अभिलाष की ग़ज़लों में दिल की जो दुनिया है उसमें मुहब्बत के सभी मौसम शामिल हैं। चंद अशआर देखिए-


सुकून ए दिल के लिए, राहत ए जिगर के लिए

तेरा ख़याल ही काफ़ी है उम्र भर के लिए 


न सही गाता हुआ, गुनगुनाता मिल जाता

कहीं तो शख़्स कोई मुस्कुराता मिल जाता 


किस क़दर दुश्वार है ये ज़िन्दगी का रास्ता

आंसुओं से हो रहा है, तय ख़ुशी का रास्ता


जिस गली में भूल आया हूं मैं अपनी ज़िन्दगी 

पूछता हूं हर किसी से उस गली का रास्ता 


पलकों पर आंसुओं का जनाज़ा लिए हुए 

दिल घुट रहा है बारे तमन्ना लिए हुए 


नज़दीक जाके देखा तो महसूस ये हुआ 

हर आदमी है चेहरे पर चेहरा लिए हुए 


ख़याल आता है मुझको कि मैं भी ज़िंदा हूं

तेरे ख़याल की गलियों से जब गुज़रता हूं 


इस काव्य संग्रह में अभिलाष जी के दस क़त्आत भी शामिल हैं। उनका एक क़त्आ देखिए- 


गंगा जमुना का नीर हो जाता 

सारी दुनिया की पीर हो जाता 

अर्थ समझा न अपने होने का 

वरना, मैं भी कबीर हो जाता


अपनी रचनाओं में गीतकार अभिलाष ने अपने अनुभव, सुख-दुख, सोच और सरोकार को इस तरह अभिव्यक्त किया है कि वह पढ़ने वालों को बड़ी जल्दी सम्वेदना की डोर में बांध लेता है। उन्होंने जिस ज़मीन पर अपना सफ़र तय किया है और जिस आसमान को अपना हमसफ़र बनाया है उसी का अक्स अपनी रचनाओं में दिखाया है। उन्होंने संघर्ष का एक लंबा रास्ता तय किया है। इस रास्ते में फूल कम है कांटे ज़्यादा हैं। अभिलाषा ने पलकों पर आंसुओं का जनाज़ा लिए हुए अपना सफ़र तय किया है। उनकी ग़ज़लों और नज़्मों में जो नमी है, जो तरलता है वह पाठकों के अंतर्मन को भिगो देती है। उम्मीद है कि अभिलाष का यह संकलन पाठकों को पसंद आएगा।

 


फ़िल्मसिटी रोड गोरेगांव पूर्व के इडलिश कैफ़े में 19 मार्च 2020 को चित्र नगरी संवाद मंच की अड्डेबाजी में सिने गीतकार अभिलाष की मौजूदगी ने हमेशा के लिए इस बैठक को यादगार बना दिया।


27 सितंबर 2020 को अभिलाष जी का स्वर्गवास हो गया। अपने गीतों के जरिए वे हमेशा हम सब की स्मृतियों में ज़िंदा रहेंगे। 


गीतकार अभिलाष का यह काव्य संग्रह  'सफ़र इक ख्वाब का' समाज विकास मंच, गोकुल धाम, गोरेगांव पूर्व के महामंत्री दिवेश यादव के सौजन्य से प्राप्त हुआ। इस सुंदर उपहार के लिए दिवेश जी का शुक्रिया।

 

आपका-

देवमणि पांडेय 


सम्पर्क : बी-103, दिव्य स्तुति, कन्या पाडा, गोकुलधाम, फिल्मसिटी रोड, गोरेगांव पूर्व, मुम्बई-400063 मो : 98210 82126


प्रकाशक : विजय जाधव, सृजन प्रकाशन गोमती, एफ-2, 2:4, सेक्टर 8ब, सीबीडी बेलापुर, नई मुंबई 400614

फ़ोन : 97 69 66 83 69


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