देवमणि पांडेय की ग़ज़ल
उदासी में न डूबे दिल
किसी का
छुपा है अश्क में चेहरा
ख़ुशी का
तुम्हारा
साथ जब छूटा तो जाना
यहाँ
होता नहीं कोई किसी का
न
जाने कब छुड़ा ले हाथ अपना
भरोसा
क्या करें इस ज़िंदगी का
अभी
तक ये भरम टूटा नहीं है
समंदर
साथ देगा तिश्नगी का
भला
किस आस पर ज़िंदा रहेगा
अगर
हर ख़्वाब टूटे आदमी का
लबों
से मुस्कराहट छिन गई है
ये
है अंजाम अपनी सादगी का
आपका-
देवमणिपांडेय
सम्पर्क : बी-103, दिव्य स्तुति,
कन्या पाडा, गोकुलधाम, फिल्मसिटी रोड,
गोरेगांव पूर्व, मुम्बई-400063, 98210-82126
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