रविवार, 24 जनवरी 2010

मुम्बई में परिवार पुरस्कार समारोह और काव्य उत्सव

परिवार पुरस्कार समरोह और काव्य उत्सव

मुम्बई में ‘परिवार’ नाम की संस्था ने पिछले बीस सालों से हिंदी के प्रमुख रचनाकारों को पुरस्कृत करने के साथ-साथ हिंदी काव्य मंच की गरिमा को बरकरार रखने का भी सराहनीय काम किया है । मुझे इस बात पर गर्व है कि मैं ख़ुद भी  इस संस्था से जुड़ा हूँ । अब तक परिवार पुरस्कार से बाबा नागार्जुन, कवि प्रदीप, शरद जोशी, गोपालदास नीरज, भारत भूषण, हरीश भदानी, नईम, सोम ठाकुर, माहेश्वर तिवारी, कन्हैयालाल नंदन, सूर्यभानु गुप्त, कैलाश गौतम, कुँअर बेचैन और बुद्धिनाथ मिश्र जैसे कई प्रतिष्ठित रचनाकारों को सम्मानित किया जा चुका है । पूर्व प्रधानमंत्री वी.पी.सिंह, शायर मजरूह सुलतानपुरी, गुलज़ार और जावेद अख़्तर जैसी हस्तियाँ अपने काव्यपाठ से परिवार के मंच को गरिमा प्रदान कर चुकी हैं । परिवार के संस्थापक अध्यक्ष रामस्वरूप गाड़िया और महामंत्री सुरेशचन्द शर्मा हैं।


परिवार काव्य उत्सव में हस्तीमल हस्ती, आसकरण अटल, निदा फ़ाज़ली, शचीन्द्र त्रिपाठी, विश्वनाथ सचदेव, नंदकिशोर नौटियाल, सारंगीवादक पद्मश्री पं राम नारायण, प्रो.नंदलाल पाठ, रामस्वरूप गाड़िया और कवयित्री महक भारती


जनवरी 2010 में मुम्बई के बिरला मातुश्री सभागार में आयोजित एक भव्य समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार प्रो.नंदलाल पाठक को परिवार पुरस्कार से सम्मानित किया गया। विश्वविख्यात सारंगीवादक पद्मश्री पं. रामनारायण ने परिवार पुरस्कार उन्हें प्रदान किया। परिवार के आयोजन में श्रोता भी बहुत अच्छे-अच्छे आते हैं । इस बार भी मुम्बई के दो प्रमुख घरानों का नेतृत्व करने करने वाली दो प्रमुख हस्तियाँ श्रीमती राजश्री बिरला और श्रीमती किरण बजाज श्रोताओं में मौजूद थीं। काव्य उत्सव में महक भारती (पटियाला) और रमेश शर्मा (चित्तौड़गढ़) ने गीतों की छटा बिखेरी । शायर निदा फ़ाज़ली, देवमणि पाण्डेय और हस्तीमल हस्ती ने ग़ज़लों, दोहों और नज़्मों से अदभुत समां बांधा । हास्य कवि आसकरण अटल की हास्य कविताओं ने श्रोताओं को लोटपोट कर दिया ।

 
परिवार पुरस्कार समरोह में सुरेशचंद्र शर्मा, शचीन्द्र त्रिपाठी, विश्वनाथ सचदेव, 
पं राम नारायण, प्रो.नंदलाल पाठक और रामस्वरूप गाड़िया 

दूसरे दौर में रमेश शर्मा ने शहर के विरोध और गाँव की प्रशंसा में एक ऐसा गीत सुनाया जिसे सुनकर हाल में सन्नाटा छा गया । सन्नाटे को तोड़ते हुए संचालक देवमणि पाण्डेय ने कहा- राजस्थान के गाँव इतने सुँदर हो सकते हैं मगर हमारे उ.प्र. के गाँव बहुत बदल गए हैं। परिवार के इसी मंच पर कवि कैलाश गौतम ने कहा था- अब उ.प्र. के गाँवों में किराना स्टोर्स में पाउच (पन्नी) में शराब बिकती है । उन्होंने एक दोहा सुनाया था-

पन्नी में दारू बँटी पंच हुए सब टंच 
सबसे ज़्यादा टंच जो वही हुआ सरपंच 

भगवान कृष्ण के वंशज भी कितने बदल गए हैं, इस पर भी कैलाश गौतम ने एक दोहा सुनाया था-

दूध दुहे , बल्टा भरे गए शहर की ओर
शाम हुई दारू पिए लौटे नंदकिशोर 

जब संचालक पाण्डेय जी ने यह दोहा उद्धरित किया तब श्रोताओं ने ज़ोरदार ठहाका लगाया शायद इस लिए कि पहली पंक्ति में नंदकिशोर जी यानी वरिष्ठ पत्रकार नंदकिशोर नौटियाल मौजूद थे। कुल मिलाकर हर साल की तरह परिवार का काव्य उत्सव इस बार भी श्रोताओं के दिलो-दिमाग़ पर अपनी छाप छोड़ गया।

आपका-
देवमणिपांडेय

सम्पर्क : बी-103, दिव्य स्तुति,
कन्या पाडा, गोकुलधाम, फिल्मसिटी रोड, 
गोरेगांव पूर्व, मुम्बई-400063, 98210-82126

4 टिप्‍पणियां:

सतपाल ख़याल ने कहा…

Thanks Devmani jii,
kya hum bhi is sanstha se juR sakte hain?

देवमणि पांडेय Devmani Pandey ने कहा…

आपका स्वागत है, यह आप जैसे सुकवियों का ही परिवार है ।

नीरज गोस्वामी ने कहा…

देवमणि जी हमें भी इस संस्था से जुड़ने का तरीका बताइए...हम भी आपके माध्यम से ऐसे दुर्लभ क्षणों को जी लें...
नीरज

बेनामी ने कहा…

बहुत अच्छी जानकारी और समारोह का आंखों देखा हाल खूबसूरती से बयां करने के लिये आभार!