सोमवार, 17 जुलाई 2023

बाबूजी कहते थे : शेखर अस्तित्व का काव्य संग्रह

 

बाबूजी कहते थे : शेखर अस्तित्व का काव्य संग्रह

शेखर अस्तित्व के प्रथम काव्य संग्रह का नाम है 'बाबूजी कहते थे'। शेखर एक संवेदनशील कवि होने के साथ-साथ भावप्रवण गीतकार हैं। गीत उनके लिए भावनाओं का सहज उदगार है। इस लिए उनकी अभिव्यक्ति में कहीं भी बौद्धिकता का अवरोध नहीं दिखता। सहजता हर जगह मौजूद है। जीवन को जानने समझने की रचनात्मक दृष्टि उन्हें अपने पिता से विरासत में मिली है। इसलिए वे बड़ी से बड़ी बात को भी बिना किसी जटिलता के बड़ी सरलता से अभिव्यक्त कर देते हैं-

मानव मन गहरा सागर है

या कोई पगला निर्झर है 

या मदमस्त भोर का पंछी 

प्रतिपल उड़ने को तत्पर है 

शेखर अस्तित्व के पास गहन जीवन बोध के साथ समसामयिक युगबोध भी है। वे भावनाओं के ज्वार को सोच के किनारों से नियंत्रित रखते हैं। सहज भाषा में सुगम अभिव्यक्ति उनकी विशेषता है। अपनी सकारात्मकता को साथ लेकर चलते हुए उनके गीत पाठक और श्रोता को बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करते हैं। 

यह आवश्यक नहीं कि, दुख

सहने वाला हरदम रोता है 

दुख उसको ही मिलता जिसमें

सहने का साहस होता है 

शेखर के मन के अंदर गांव से बिछड़ने की कसक है। जीवन मूल्यों से जुड़े रहने की ललक है। धर्म और अध्यात्म की महक है। उनके अंदर एक मस्त मौला, फक्कड़ कवि है जो जीवन की चुनौतियों का सामना हर हाल में करता है-

बीच सड़क डुगडुगी बजाओ

बंदर तभी नचा पाओगे 

उतने सफल रहोगे तुम 

जितना शोर मचा पाओगे

शेखर अस्तित्व के गीत पाठक के अंतस् को आलोकित करते हैं। निराशा में भी आशा का दीप जलाते हैं। ज़िंदगी की राहों में आगे बढ़ने का हौसला जगाते हैं-

अहंकार के उच्च शिखर से 

नीचे स्वयं उतर के आना

मुझसे मिलने का मन हो तो

ख़ुद को ख़ाली करके आना

गेयता गीत का मूल स्वभाव है। शेखर अस्तित्व के गीतों में गेयता झरने की तरह प्रभावित होती है। शेखर हिंदी काव्य मंच के लोकप्रिय और संजीदा कवि हैं। मुझे उम्मीद है कि उनके गीत जनमानस में अपनी जगह बनाने में कामयाब होंगें। मैं उन्हें इस नई किताब के लिए बधाई देता हूं। 

अद्विक प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित इस काव्य संग्रह का मूल्य 230 रूपये है। 


आपका-

देवमणि पांडेय : 98210 82126

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