बुधवार, 28 मई 2014

घनश्यामदास सराफ साहित्य पुरस्कार

चित्र : बाएं से  नीला संघवी, प्रकाश कुलकर्णी, अशोक सराफ, श्रीकांत डालमिया,विश्वनाथ सचदेव, देवमणि पाण्डेय,
कुमार महादेव व्यास, सुशील कुमार व्यास

 घनश्यामदास सराफ साहित्य पुरस्कार 2014


मुम्बई की सौ साल पुरानी संस्था मारवाड़ी सम्मेलन की ओर से शनिवार 3 मई 2014 की शाम को दुर्गादेवी सराफ हाल, घनश्यामदास सराफ कॉलेज, मालाड (प), मुम्बई में आयोजित एक पुरस्कार समारोह में ‘घनश्यामदास सराफ साहित्य पुरस्कार’ प्रदान किए गए। पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकारों के नाम हैं- देवमणि पाण्डेय (हिंदी), प्रकाश कुलकर्णी (मराठी), नीला संघवी (गुजराती) और कुमार महादेव व्यास (राजस्थानी)। जाने-माने समाजसेवी श्री महावीरप्रसाद सराफ द्वारा अपने पिता श्री घनश्यामदास सराफ की स्मृति में स्थापित इस पुरस्कार के तहत प्रत्येक रचनाकार को शाल, श्रीफल और प्रशस्ति पत्र के साथ 21000/- इक्कीस हज़ार रूपए नकद धनराशि भेंट की गई। वरिष्ठ पत्रकार एवं नवनीत के सम्पादक विश्वनाथ सचदेव ने समारोह की अध्यक्षता की। जाने-माने उद्योगपति अशोक सराफ मुख्य अतिथि थे। संस्था अध्यक्ष श्रीकांत डालमिया ने रचनाकारों और अतिथियों का स्वागत किया। महामंत्री सुशील कुमार व्यास ने आभार व्यक्त किया। समारोह में मुम्बई महानगर के कई लेखक, पत्रकार और गणमान्य लोग उपस्थित थे।


चित्र : (बाएं से दाएं)- श्रीकांत डालमिया,अशोक सराफ, देवमणि पाण्डेय, विश्वनाथ सचदेव

लोगों की फ़रमाइश पर देवमणि पांडेय ने कुछ गज़लें पेश कीं-

जो मिल गया है उससे भी बेहतर तलाश कर
क़तरे में भी छुपा है समंदर तलाश कर

हाथों की इन लकीरों ने मुझसे यही कहा
कोशिश से अपनी, अपना मुक़द्दर तलाश कर

दिल तो दिल है दिल की बातें समझ सको तो बेहतर है
दुनिया की इस भीड़ में सबसे जुदा रहो तो बेहतर है

ख़ामोशी भी एक सदा है अकसर बातें करती है
तुम भी इसको तनहाई में सुना करो तो बेहतर है

ज़माने में कहाँ कब,कौन,किसका साथ देता है
जो अपना है वही ग़म की हमें सौग़ात देता है

तू उसका शुक्र कर ऐ दिल कि वो पत्थर के सीने को
कभी धड़कन कभी नग़मा, कभी जज़्बात देता है

देवमणि पाण्डेय : 98210-82126

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