देवमणि पांडेय ग़ज़ल
ये
दुनिया है यहाँ कब,कौन,किसका साथ देता है
जिसे
अपना बनाओ, ग़म की वो सौग़ात देता है
अनोखे
मोड़ आते हैं नज़र के खेल में उस पल
हमारा
दिल हमें ही जब अचानक मात देता है
अजब
है इश्क़ का बादल कि वो प्यासी निगाहों को
कभी
तो ख़्वाब देता है, कभी बरसात
देता है
ये
ख़ुशियाँ फेर लेती हैं निगाहें दो क़दम चलकर
मगर
ग़म तो हमारा ज़िंदगी भर साथ देता है
यही
तो इश्क़ है साहब कि जो पत्थर के सीने में
कभी
धड़कन, कभी नग़मा, कभी जज़्बात
देता है
देवमणि पांडेय : 98210-82126
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