शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2013

इतनी शक्ति हमें देना दाता : गीतकार अभिलाष


सिने गीतकार अभिलाष को गीत गौरव सम्मान

पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह द्वारा कलाश्री अवार्ड से सम्मानित सिने गीतकार अभिलाष का विश्व प्रसिद्ध गीत 'इतनी शक्ति हमें देना दाता' हिंदुस्तान के 600 विद्यालयों में प्रार्थना गीत के रूप में गाया जाता है। विश्व की आठ भाषाओं में इस गीत का अनुवाद हो चुका है और इसे वहाँ भी प्रार्थना गीत के रूप में गाया जाता है। इस गीत के मेल और फीमेल दो संस्करण हैं। एक में सुषमा श्रेष्ठ, पुष्पा पागधरे आदि की आवाज़ें हैं। दूसरे में घनश्याम वासवानी, अशोक खोसला, शेखर सावकार और मुरलीधर की आवाजें हैं। 

संगीतकार कुलदीप सिंह ने इस गीत को एन चंद्रा की फ़िल्म अंकुश (1985) के लिए संगीतबद्ध किया था। इससे पहले फ़िल्म 'साथ साथ' में  कुलदीप सिंह का संगीत सुपरहिट हो चुका था। चंद्रा जी को समय चंदू कहा जाता था। वे फ़िल्म जगत में एक स्ट्रगलर थे। एक दिन वे कुलदीप सिंह के पास गए और बोले- पापा जी, मैंने स्ट्रगल कर रहे कलाकारों की एक टीम बनाई है और उन्हें लेकर एक फ़िल्म कर रहा हूं। कुलदीप सिंह ने बिना पारिश्रमिक मांगे फ़िल्म 'अंकुश' का संगीत दिया। गीतकार अभिलाष ने गीत लिखे। फ़िल्म हिट हुई। गीत संगीत भी हिट हुआ। पब्लिसिटी में हर जगह सिर्फ़ एन चंद्रा का नाम था। इस फ़िल्म की सफलता के साथ वे एन चंद्रा बन गए। उन्होंने पीछे पलट कर दुबारा कुलदीप सिंह और अभिलाष की तरफ नहीं देखा। यही फिल्म जगत का दस्तूर है।

'इतनी शक्ति हमें देना दाता' गीत के अलावा अभिलाष जी के लिखे साँझ भई घर आजा (लता), आज की रात न जा (लता), वो जो ख़त मुहब्बत में (ऊषा), तुम्हारी याद के सागर में (ऊषा), संसार है इक नदिया (मुकेश), तेरे बिन सूना मेरे मन का मंदिर (येसुदास) आदि सिने गीत भी बेहद लोकप्रिय हुए। अभिलाष जी 40 सालों से फ़िल्म जगत में सक्रिय हैं। गीत के अलावा उन्होंने कई फ़िल्मों में बतौर पटकथा-संवाद लेखक भी योगदान किया है। कई टीवी धारावाहिको़ं की स्क्रिप्ट लिखी है। उनके गीत, संगीत की दुनिया की अमूल्य थाती हैं।
गीतकार अभिलाष 

संवाद लेखन और गीत लेखन के लिए अभिलाष को सुर आराधना अवार्ड, मातो श्री अवार्ड, सिने गोवर्स अवार्ड, फ़िल्म गोवर्स अवार्ड, अभिनव शब्द शिल्पी अवार्ड, विक्रम उत्सव सम्मान, हिंदी सेवा सम्मान और दादा साहेब फाल्के अकादमी अवार्ड से सम्मानित किया गया है। अदालत, धूप छाँव, दुनिया रंग रंगीली, अनुभव, संसार, चित्रहार, रंगोली और ॐ नमो शिवाय जैसे अनेक लोकप्रिय धारावाहिकों में अभिलाष ने अपनी क़लम की छाप छोड़ी है। 

गीतकार अभिलाष स्क्रीन राइटर एसोसिएशन के ज्वाइंट सेक्रेटरी और आईपीआरएस के डाइरेक्टर का पद भी संभाल चुके हैं। साथ ही वे अपने प्रोडक्शन हाउस मंगलाया क्रिएशन के तहत टीवी के लिए कई धारवाहिकों का निर्माण भी कर चुके हैं। हिंदी सिने जगत में रचनात्मक योगदान के लिए गीतकार अभिलाष को गीत गौरव सम्मान से विभूषित किया गया। 

गीतकार अभिलाष का जन्म 13 मार्च 1946 को दिल्ली में हुआ। दिल्ली में उनके पिता का व्यवसाय था। वे चाहते थे कि अभिलाष व्यवसाय में उनका हाथ बटाएं। लेकिन ऐसा संभव नहीं हुआ। छात्र जीवन में बारह साल की उम्र में अभिलाष ने कविताएं लिखनी शुरू कर दी थीं। मैट्रिक की पढ़ाई के बाद वे मंच पर भी सक्रिय हो गए। उनका वास्तविक नाम ओम प्रकाश है। उन्होंने अपना तख़ल्लुस 'अज़ीज़' रख लिया। ओमप्रकाश' अज़ीज़' के नाम से उनकी ग़ज़लें, नज़्में और कहानियां कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं। 'अज़ीज़' देहलवी नाम से उन्होंने मुशायरों में शिरकत की। मन ही मन साहिर लुधियानवी को अपना उस्ताद मान लिया। दिल्ली के एक मुशायरे में साहिर लुधियानवी पधारे। नौजवान शायर 'अज़ीज़' देहलवी ने उनसे मिलकर उनका आशीर्वाद लिया। साहिर साहब को कुछ नज़्में सुनाईं। साहिर ने कहा- मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं तुम्हारे मुंह से अपनी नज़्में सुन रहा हूं। तुम अपना रास्ता अलग करो। ऐसी ग़ज़लें और नज़्में लिखो जिसमें तुम्हारा अपना रंग दिखाई पड़े। साहिर का मशविरा मानकर वे अपने रंग में ढल गए। ओमप्रकाश' अज़ीज़' सिने जगत में बतौर गीतकार दाख़िल हुए तो उन्होंने अपना नाम अभिलाष रख लिया।

अभिलाष का कहना है कि अब सिने गीतों को भाषा बदल गई। सिने गीत फास्ट फूड बन गए हैं। इन्हें सुनकर दिल को सुकून नहीं मिलता। पहले गीतों में महबूब को 'आप' कहा जाता था। फिर 'तुम' पर आए और अब 'तू' लिखा जा रहा है। गीतों से शायरी ग़ायब हो गई है। ज़िंदगी की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अब गीत बेचना पड़ता है। मोबाइल की एक कॉलर ट्यून के लिए उपभोक्ता को 30 रूपए महीना भुगतान करना पड़ता है। ‘इतनी शक्ति हमें देना दाता’ गीत को दो करोड़ से अधिक लोगों ने अपनी कॉलर ट्यून बनाया है। कॉपी राइट अमेंडमेंट बिल 2012 पास होने के बावजूद इससे ज़बर्दस्त कमाई करने वाली टी सीरीज़ म्यूज़िक कम्पनी ने इसके गीतकार अभिलाष को कोई भुगतान नहीं किया।

गीतकार अभिलाष मृदुभाषी, मिलनसार और विनम्र इंसान है। उन्होंने कई बेहतरीन ग़ज़लें और नज़्में लिखी हैं। अगर वह मंच पर जाते तो मंच की गरिमा बढ़ती। मगर सिने जगत में आने के बाद उन्हें मंच पर कविता पाठ का आकर्षण नहीं रहा। दोस्ताना महफ़िलों और आत्मीय समारोहों में वे कविता पाठ भी करते हैं। गीतकार अभिलाष मेरे पड़ोसी और मित्र हैं। मेरी दुआ है कि वे हमेशा हंसते मुस्कुराते रहें। यार दोस्तों के साथ महफ़िलें सजाते रहें।
मुम्बई में 30 सितम्बर 2013 की शाम को आयोजित राष्ट्रीय पत्रकार मोर्चा एवं फिशरीज़ यूनीवर्सिटी के सम्मान समारोह में बाएं से (खड़े)- कवि देवकी नंदन बूबना, अतिथि आर.के.सिंह,पत्रकार शत्रुघ्न प्रसाद, कवयित्री रीना राज, आरजे शिल्पा राठी, डॉ.राजेश्वर उनियाल, कवि शेखर अस्तित्व, कवि-अभिनेता रवि यादव, विनीता यादव, पं.वी.नरहरि, चि्त्रकार जैन कमल, संचालक देवमणि पांडेय. बाएं से (बैठे)-शायर प्रमोद कुश, अनिल सहगल, गायिका सीमा सहगल, गीतकार अभिलाष, शायर इब्राहीम अश्क, शायर रफ़ीक जाफ़र, शायर नवाब आरज़ू.


समारोह में आयोजित कवि सम्मेलन-मुशाइरे का संचालन शायर देवमणि पांडेय ने किया। इसमें शिरकत करने वाले कवि-शायर थे- रफ़ीक जाफ़र, नवाब आरज़ू, इब्राहीम अश्क, प्रमोद कुश, रवि यादव, शेखर अस्तित्व, कवयित्री रीना पारीक और शिल्पा राठी। 


लोकार्पण समारोह में कवि संतोष कुमार झा, गायिका सीमा सहगल, साहित्यकार विश्वनाथ सचदेव, डॉ.राजेश्वर उनियाल, वरिष्ठ संगीतकार मोहिन्दरजीत सिंह, कवि- संचालक देवमणि पांडेय. गीत गौरव सम्मान से सम्मानित गीतकार अभिलाष को बधाई देते हुए समारोह के मुख्य अतिथि नवनीत हिंदी डाइजेस्ट पत्रिका के संपादक एवं वरिष्ठ साहित्यकार विश्वनाथ सचदेव ने कहा कि कि जैसे पं चंद्रधर शर्मा गुलेरी ‘उसने कहा था’ कहानी से अमर हो गए, वैसे ही आपका एक गीत ही आपको विश्व में लोकप्रिय बनाने के लिए काफी है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अभिलाषजी सतत रचनारत हैं और अभी अनेक उत्कृष्ट रचनाएं सामने आएँगी। 

सम्मानित गीतकार अभिलाष ने कहा- मैं यह सम्मान पाकर ख़ुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ। इस तरह का सम्मान जीवन को एक नया उत्साह देता है। उन्होंने बताया कि विश्व की आठ भाषाओं में 'इतनी शक्ति हमें देना दाता' का अनुवाद हो चुका है और इसे वहाँ भी प्रार्थना गीत के रूप में गाया जाता है।

सिने गीतकार अभिलाष का स्वागत करत हुए डॉ.राजेश्वर उनियाल 
मु्ख्य अतिथि एवं वरिष्ठ साहित्यकार विश्वनाथ सचदेव ने डॉ.राजेश्वर उनियाल के उपन्यास 'भाड़े का रिक्शा' का विमोचन किया और इस उपन्यास को मुंबई के जीवन का यथार्थ चित्रण बताया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में संतोष कुमार झा (मुख्य उपपरिचालन प्रबंधक पश्चिम रेलवे), वरिष्ठ संगीतकार मोहिन्दरजीत सिंह, गायिका सीमा सहगल और हिंदी सेवी श्री आर.के.सिंह अतिथि के रूप में मौजूद थे। राष्ट्रीय पत्रकार मोर्चा के का.अध्यक्ष शत्रुघ्न प्रसाद ने कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत भाषण किया। इस कार्यक्रम के संयोजक संगीतज्ञ पंडित वी.नरहरि थे। उन्होंने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए वहाँ मौजूद सभी श्रोताओं का धन्यवाद किया और भरोसा दिलाया कि इस तरह के कार्यक्रम भविष्य में भी करते रहेंगे।


दीप जलाते कवि देवमणि पांडेय

गीतकार अभिलाष का गीत
इतनी शक्ति हमें देना दाता


इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमज़ोर हो न
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे भूल कर भी कोई भूल हो न..

हर तरफ़ ज़ुल्म है, बेबसी है, सहमा सहमा-सा हर आदमी है
पाप का बोझ बढता ही जाये, जाने कैसे ये धरती थमी है
बोझ ममता का तू ये उठा ले, तेरी रचना का ये अँत हो न
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे भूल कर भी कोई भूल हो न..

दूर अज्ञान के हों अँधेरे, तू हमें ज्ञान की रौशनी दे
हर बुराई से बचते रहें हम, जितनी भी दे भली ज़िन्दग़ी दे
बैर हो न, किसी का किसी से. भावना मन में बदले की हो न
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे भूल कर भी कोई भूल हो न..

हम न सोचें हमें क्या मिला है, हम ये सोचें किया क्या है अर्पण
फूल खुशियों के बाँटें सभी को सबका जीवन ही बन जाये मधुबन
अपनी करुणा का जल तू बहाकर, करदे पावन हरेक मनका कोना
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे भूल कर भी कोई भूल हो न..

हम अँधेरे मे हैं रौशनी दे, खो न दें खुद को ही दुश्मनी से
हम सज़ा पायें अपने किये की, मौत भी हो तो सह लें खुशी से
कल जो गुज़रा है फिर से न गुज़रे, आनेवाला वो कल ऐसा हो न
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे भूल कर भी कोई भूल हो न..

इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमज़ोर हो न... 



देवमणि पांडेय

सम्पर्क : बी-103, दिव्य स्तुति,
कन्या पाडा, गोकुलधाम, फ़िल्म सिटी रोड,
गोरेगांव पूर्व, मुम्बई-400063, 98210 82126

2 टिप्‍पणियां:

तिलक राज कपूर ने कहा…

इस कालजयी गीत को तो सम्‍मानों से लाद दिया जाना चाहिये।
जिसने भी सुना होगा, कठिनाई में गुनगुनाये बिना नहीं रह सकता।

Vandana Tandon ने कहा…

बेहद अफसोसजनक है देश की हर जुबां पर बसने वाले गीत के गीतकार को यथोचित सम्मान , पहचान व पारिश्रमिक न मिलना . ऐसी अमर रचना को हमारे देश को देने वाले आदरणीय श्रीअभिलाष जी को हमारा हार्दिक नमन !!!