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शुक्रवार, 1 जुलाई 2011

नक़्श लायलपुरी : आँगन-आँगन बरसे गीत

कवयित्री दीप्ति मिश्र के काव्य संग्रह ‘है तो है’ के लोकार्पण समारोह में कवयित्री दीप्ति मिश्र, शायर-संचालक देवमणि पांडेय, लोकमंगल के अध्यक्ष स्व।रामनारायण सराफ, शायर निदा फाज़ली और शायर नक़्श लायलपुरी (मुम्बई 19 नवम्बर 2005)

आँगन-आँगन बरसे गीत

नक्श लायलपुरी की शायरी में ज़बान की मिठास, एहसास की शिद्दत और इज़हार का दिलकश अंदाज़ मिलता है। उनकी ग़ज़ल का चेहरा दर्द के शोले में लिपटे हुए शबनमी एहसास की लज़्ज़त से तरबतर है। उनकी शायरी में पंजाब की मिट्टी की महक, लखनऊ की नफ़ासत और मुंबई के समंदर का धीमा-धीमा संगीत है। फ़िल्मी नग़मों में भी जब उनके लफ़्ज़ गुनगुनाए गए तो उनमें भी अदब बोलता और रस घोलता दिखाई दिया। नक्श लायलपुरी का जन्म 24 फरवरी 1928 को लायलपुर (अब पाकिस्तान का फैसलबाद) में हुआ। 22 जनवरी 2017 को मुम्बई में उनका इंतकाल हुआ। उनके वालिद मोहतरम जगन्नाथ ने उनका नाम जसवंत राय तजवीज़ किया था। शायर बनने के बाद उन्होंने अपना नाम तब्दील किया। अब उनके अशआर इस क़दर दिलों पर नक़्श हो चुके हैं कि ज़माना उन्हें नक़्श लायलपुरी के नाम से जानता है। नक़्श लायलपुरी के फ़िल्म गीतों का एक संकलन आया है- 'आँगन-आँगन बरसे गीत'। यह किताब उर्दू में है। इसको मैंने हिंदी में रूपांतरित कर दिया है। इस किताब से छः गीत आपके लिए पेश कर रहा हूँ। इस किताब पर शायर अब्दुल अहद साज़ का एक ख़ूबसूरत आलेख आप पिछली पोस्ट में पढ़ सकते हैं।
आपका- देवमणि पांडेय



नक़्श लायलपुरी के फ़िल्म गीत

(1)
ये मुलाक़ात इक बहाना है
प्यार का सिलसिला पुराना है

धड़कनें धड़कनों में खो जाएं
दिल को दिल के क़रीब लाना है

मैं हूँ अपने सनम की बाहों में
मेरे क़दमों तले ज़माना है

ख्व़ाब तो काँच से भी ऩाजुक हैं
टूटने से इन्हें बचाना है

मन मेरा प्यार का शिवाला है
आपको देवता बनाना है

फ़िल्म : ख़ानदान संगीत : ख़य्याम स्वर : लता मंगेशकर

(2)

माना तेरी नज़र में तेरा प्यार हम नहीं
कैसे कहें कि तेरे तलबगार हम नहीं

दिल को जला के राख बनाया,बुझा दिया
लो अब तुम्हारी राह में दीवार हम नहीं

सींचा था जिसको हमने तमन्ना के ख़ून से
गुलशन में उस तमन्ना के हक़दार हम नहीं

धोखा दिया है ख़ुद को मुहब्बत के नाम पर
ये किस तरह कहें कि ख़तावार हम नहीं

फ़िल्म : आहिस्ता-आहिस्ता संगीत : ख़य्याम स्वर : सुलक्षणा पंडित


(3)
रस्मे उल्फ़त को निभाएं तो निभाएं कैसे
हर तरफ़ आग है दामन को बचाएं कैसे

दिल की राहों में उठाते हैं जो दुनिया वाले
कोई कह दे कि वो दीवार गिराएं कैसे

दर्द में डूबे हुए नग़में हज़ारों हैं मगर
साज़े-दिल टूट गया हो तो सुनाएं कैसे

बोझ होता जो ग़मों का तो उठा भी लेते
ज़िंदगी बोझ बनी हो तो उठाएं कैसे

फ़िल्म : दिल की राहें संगीत : मदन मोहन स्वर : लता मंगेशकर


(4)
आपकी बातें करें या अपना अफ़साना कहें
होश में दोनों नहीं हैं किसको दीवाना कहें

राज़े-उल्फ़त ज़िंदगी भर राज़ रहना चाहिए
आँखों ही आँखों में ये ख़ामोश अफ़साना कहें

आपकी बाहों में आकर खिल उठी है ज़िंदगी
इन बहारों को भला हम किसका नज़राना कहें

दिल के हाथों लुट के हमने कर लिया ये फ़ैसला
आपको अपना कहें और दिल को बेगाना कहें

फ़िल्म : दिल की राहें संगीत : मदन मोहन स्वर : लता मंगेशकर


(5)
भरोसा कर लिया जिस पर उसी ने हमको लूटा है
कहाँ तक नाम गिनवाएं सभी ने हमको लूटा है

हमारी बेबसी को मुस्कराकर देखने वालो
तुम्हारे शहर की इक इक गली ने हमको लूटा है

जो लुटते मौत के हाथों तो कोई ग़म नहीं होता
ग़म इस बात का है ज़िंदगी ने हमको लूटा है

कभी बढ़कर हमारा रास्ता रोका अँधेरों ने
कभी मंज़िल दिखाकर रोशनी ने हमको लूटा है

फ़िल्म : प्रभात संगीत : मदन मोहन स्वर : लता मंगेशकर
(6)
ये वही गीत है जिसको मैनें धड़कन में बसाया है
तेरे होंठो से इसको चुराकर होंठो पर सजाया है

मैंने ये गीत जब गुनगुनाया सज गई है ख़यालों की महफ़िल
प्यार के रंग आँखों में छाए मुस्कराई उजालों की महफ़िल

ये वो नग़मा है जो ज़िदगी में रोशनी बन के आया है
तेरे होंठो से इसको चुराकर होंठो पर सजाया है

मेरे दिल ने तेरा नाम लेकर जब कभी तुझको आवाज़ दी है
फूल ज़ुल्फों में अपनी सजा कर तू मेरे सामने आ गई है

तुझको अक्सर मेरी बेख़ुदी ने सीने से लगाया है
तेरे होंठो से इसको चुराकर होंठो पर सजाया है

फ़िल्म : मान जाइए संगीत : जयदेव स्वर : किशोर कुमार




आपका-
देवमणिपांडेय

सम्पर्क : बी-103, दिव्य स्तुति,
कन्या पाडा, गोकुलधाम, फिल्मसिटी रोड,
गोरेगांव पूर्व, मुम्बई-400063, 98210-82126