सावन आया गाँव में सबका पूछ
रहा है हाल
नाच रही हैं छत पर बूँदें पुरवा ने दी ताल
सावन आया गाँव में सबका पूछ रहा है हाल
मेढक मिलकर बिरहा गाते कोयल कजरी गाए
दुबक के बैठी है गोरैया कौवा शोर मचाए
दादी को लगती है बारिश अब जी का जंजाल
सावन आया गाँव में सबका पूछ रहा है हाल
मेढक मिलकर बिरहा गाते कोयल कजरी गाए
दुबक के बैठी है गोरैया कौवा शोर मचाए
दादी को लगती है बारिश अब जी का जंजाल
सावन आया गाँव में सबका पूछ रहा है हाल
दिन में बारिश हुई झमाझम पानी बहता जाए
मोबाइल में बिजी है बचपन कश्ती कौन चलाए
टीवी देख रहे सब घर में सूनी है चौपाल
सावन आया गाँव में सबका पूछ रहा है हाल
खेतों में घुटनों तक पानी उफन रहे हैं नाले
दलदल में फँस गया ट्रैक्टर बाहर कौन निकाले
बाँध के रस्सी खींच रहे हैं बैल हुए बेहाल
सावन आया गाँव में सबका पूछ रहा है हाल
महँगू की गिर गई मड़ैया टूट के बरसा पानी
घर में बैठी सोच रही है रामधनी की नानी
कहाँ पड़ेगा झूला कट गई पीपल वाली डाल
सावन आया गाँव में सबका पूछ रहा है हाल
-----देवमणि पांडेय
सम्पर्क : 98210-82126
5 टिप्पणियां:
वाह..बहुत बढ़िया..
बहुत सुंदर भाव व शब्द..
वाह!
सावन आया झूम कर पूछ रहा है हाल.
वाह। गीत दिल को छू गया, विशेषकर ये पंक्तियाँ-
दिन में बारिश हुई झमाझम पानी बहता जाए
मोबाइल में बिजी है बचपन कश्ती कौन चलाए
टीवी देख रहे सब घर में सूनी है चौपाल
सावन आया गाँव में सबका पूछ रहा है हाल
-भूपेन्द्र
वाह। गीत दिल को छू गया, विशेषकर ये पंक्तियाँ-
दिन में बारिश हुई झमाझम पानी बहता जाए
मोबाइल में बिजी है बचपन कश्ती कौन चलाए
टीवी देख रहे सब घर में सूनी है चौपाल
सावन आया गाँव में सबका पूछ रहा है हाल
-भूपेन्द्र
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