देवमणि पांडेय की ग़ज़ल
उदासी में न डूबे दिल
किसी का
छुपा है अश्क में चेहरा
ख़ुशी का
तुम्हारा
साथ जब छूटा तो जाना
यहाँ
होता नहीं कोई किसी का
न
जाने कब छुड़ा ले हाथ अपना
भरोसा
क्या करें इस ज़िंदगी का
अभी
तक ये भरम टूटा नहीं है
समंदर
साथ देगा तिश्नगी का
भला
किस आस पर ज़िंदा रहेगा
अगर
हर ख़्वाब टूटे आदमी का
लबों
से मुस्कराहट छिन गई है
ये
है अंजाम अपनी सादगी का
नवभारत टाइम्स के सम्पादक शचींद्र त्रिपाठी का सम्मान
शचींद्र त्रिपाठी का परिचय कराते हुए कवि-गीतकार देवमणि पाण्डेय ने कहा कि श्री त्रिपाठी एक विनम्र, मृदुभाषी और प्यारे आदमी होने के साथ-साथ एक श्रेष्ठ पत्रकार और सुयोग्य सम्पादक हैं। पत्रकारिता शचींद्र त्रिपाठी को विरासत में मिली है। उनके पिता योगेंद्रपति त्रिपाठी ने सिर्फ़ 31 साल की उम्र में ‘स्वतंत्र भारत’ लखनऊ के प्रधान सम्पादक की ज़िम्मेदारी सँभाल कर एक रिकार्ड कायम किया था। सन् 1971 में उनके स्वर्गवास के बाद प्रबंधकों के अनुरोध पर ‘स्वतंत्र भारत’ लखनऊ से ही शचींद्र त्रिपाठी ने पत्रकारिता की गौरवशाली शु्रुआत की। शचींद्र त्रिपाठी ने पत्रकारिता में अपने पिता से प्राप्त संस्कारों की रक्षा की। गोरखपुर में 01 जनवरी 1952 को जन्मे शचींद्र त्रिपाठी आज भी अपनी मिट्टी-पानी-हवा से जुड़े हुए हैं।
आपका
देवमणिपांडेय
सम्पर्क : बी-103, दिव्य स्तुति,
कन्या पाडा, गोकुलधाम, फिल्मसिटी रोड,
गोरेगांव पूर्व, मुम्बई-400063, 98210-82126
1 टिप्पणी:
आदरणीय देवमणि पांडेय जी भाईसाहब
नमस्कार !
आपके यहां आता हूं नई रचनाएं पढ़ने के लिए , समारोह रिपोर्ट में आपको देख कर तसल्ली कर लेता हूं ।
साथ ही पुरानी पोस्ट्स खोल कर लालो-जवाहिर टटोलता रहता हूं ।
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
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