रविवार, 31 अक्टूबर 2010

स्वानंद किरकिरे के साथ सिंगल स्क्रीन सिनेमा में ‘दबंग’

उज्जैन के शिप्रा होटल के गार्डेन में नेशनल अवार्ड से सम्मानित 'थ्री ईडिएट' फेम गीतकार स्वानंद किरकिरे,
मशहूर टीवी ऐंकर गायत्री शर्मा और शायर देवमणि पाण्डेय (12 सितम्बर 2010)

श्री मध्यभारत हिंदी समिति इंदौर में महात्मा गाँधी

श्री मध्यभारत हिंदी समिति, इंदौर के सभागार में महात्मा गाँधी की अदभुत युवा तस्वीर दिखाई पड़ी- बंद गले का कोट और शानदार पगड़ी। तस्वीर के नीचे अंकित है- काठियावाड़ी वेशभूषा में गाँधीजी। अगर यह इबारत न होती तो हम पहचान ही नहीं पाते कि यह गाँधीजी हैं। सौ साल पहले 1910 में ख़ुद गाँधीजी ने श्री मध्यभारत हिंदी समिति की स्थापना की थी।यहाँ से उन्होंने दक्षिण में हिंदी सिखाने के लिए दस हिंदीसेवियों का एक जत्था भी रवाना किया था। सोमवार 13 सितम्बर 2010 को शाम 6 बजे श्री मध्यभारत हिंदी समिति के सभागार में ईटीवी के सीईओ जगदीश चंद्रा, फ़िल्म थ्री ईडियट के गीतकार स्वानंद किरकिरे ,भड़ास फॉर मीडिया के सम्पादक यशवंत सिंह और मेरा सम्मान किया गया। 

जोश और उमंग से लबालब युवा उदघोषक अमित राठौड़ ने हमें कवितापाठ के लिए आमंत्रित किया। श्रोताओं की माँग पर स्वानंद ने फ़िल्म ‘हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी’ का गीत ‘बावरा मन’ ऐसा डूबकर गाया कि लोग भाव विभोर हो गए। मैंने ग़ज़लें सुनाईं। श्रोताओं में लेखकों-पत्रकारों की तादाद काफी थी। दूसरी ग़ज़ल पूरी होते ही पीछे से आवाज़ आई- 'कभी कभी' सुनाइए। मैंने यह ग़ज़ल भी सुना दी। मंच से नीचे उतरा तो वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश हिंदुस्तानी ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया और कहा तीसरी गज़ल मुझे बहुत पसंद आई। सामने चार बुज़ुर्ग खड़े थे- हास्यव्यंग्य के वरिष्ठ कवि सरोज कुमार, वरिष्ठ गीतकार चंद्रसेन विराट, प्रतिष्ठित ग़ज़लकार चंद्रभान भारद्वाज और जाने-माने कथाकार शरद पगारे। इन बुज़ुर्गों ने अपने आशीर्वाद और स्नेह से ऐसा नहलाया कि आज भी तन-मन तरबतर है।
वेबदुनिया कार्यालय इंदौर में मराठी फीचर इंचार्ज स्मिता जोशी, हिन्दी फीचर इंचार्ज स्मृति जोशी, शायर देवमणि पांडेय, असिसटंट मैनेजर भीका शर्मा, उपसंपादक  शराफत खान, उपसंपादक रूपाली बर्वे, गुजराती फीचर इंचार्ज कल्याणी देशमुख

दोपहर को हमने इंदौर के मशहूर फ़िल्म वितरक आर.डी. जैन के यहाँ आदिवासी भोजन किया। केले के पत्ती की सब्जी और पके छिलकेदार केले की मसालेदार भाजी साथ में दाल बाटी। अदभुत स्वाद। जब हम 11 सितम्बर को इंदौर पहुँचे थे तो यही जैन साहब हमें और स्वानंद किरकिरे को एयरपोर्ट से सीधे ओल्ड पलासिया ले गए था। हमने विजय चाट हाउस में आलू चाट और मधुरम में मक्के की कचौरी खाई।अदभुत स्वाद ज़िंदगी का।क्या आपने कभी खाई। स्वानंद किरकिरे की फ़रमाइश पर रात के आख़िरी शो में हमने रीगल के सिंगल स्क्रीन सिनेमा में ‘दबंग’ फ़िल्म देखी। शो हाउसफुल था और क्या सीटियाँ बज रहीं थीं। सुबह इंदौर दूरदर्शन में हम लेखक-चित्रकार प्रभु जोशी के मेहमान थे। लोकप्रिय ऐंकर गायत्री शर्मा ने मेरा और स्वानंद का आधे-आधे घंटे का इंटरव्यू किया। असरदार शख़्सियत और बहुत मीठा बोलने वाली इस लड़की के हाथ में कोई काग़ज़ नहीं था मगर इसने बहुत जमकर हमारी ख़बर ली। यह भी अच्छा लगा कि गायत्री ने मेरे ही एक शेर से इंटरव्यू की शुरुआत की-



परवाज़ की तलब है अगर आसमान में
ख़्वाबों को साथ लीजिए अपनी उड़ान में


गायत्री ने मुझसे पूछा- शायरी में मुहब्बत की क्या भूमिका होती है
मैंने उन्हें क़तील शिफ़ाई का शेर सुना दिया-

कैसे न दूँ क़तील दुआ उसके हुस्न को
मैं जिसपे शेर कहकर सुख़नवर बना रहा

14 सितम्बर २०१० को प्रथम हिंदी पोर्टल वेब दुनिया के असिसटंट मैनेजर भीका शर्मा मुझे अपने कार्यालय ले गए। वहाँ कान्फेंस हाल में मैनेजर संदीप सिसोदिया के साथ मराठी फीचर इंचार्ज स्मिता जोशी, हिन्दी फीचर इंचार्ज स्मृति जोशी, उपसंपादक (खेल) शराफ़त ख़ान, उपसंपादक रूपाली बर्वे, और गुजराती फीचर इंचार्ज कल्याणी देशमुख के साथ जमकर साहित्य चर्चा हुई। इन लोगों के अनुरोध पर यहां भी मैंने ग़ज़लें सुनाईं। कुल मिला कर इंदौर-उज्जैन की यह यात्रा ज़िंदगी की किताब में एक सुनहरे अध्याय के रूप में दर्ज हो चुकी है।

आपका
देवमणिपांडेय

सम्पर्क : बी-103, दिव्य स्तुति,
कन्या पाडा, गोकुलधाम, फिल्मसिटी रोड,
गोरेगांव पूर्व, मुम्बई-400063, 98210-82126

4 टिप्‍पणियां:

नीरज गोस्वामी ने कहा…

आपको पढ़ना मिलना सुनना एक ऐसा अनुभव है जिसे पाने को हमेशा मन लालाइत रहता है...आपमें है ही ऐसा चुम्बकीय आकर्षण...
इश्वर से प्रार्थना करता हूँ के आपका ये आकर्षण सदा ऐसा ही बना रहे...

नीरज

manu ने कहा…

bahut sunder ghazalein padhwaa di bandhu .....

subah hamaari aabaad ho gayi...

manu ने कहा…

bahut sunder ghazalein padhwaa di bandhu .....

subah hamaari aabaad ho gayi...

तिलक राज कपूर ने कहा…

जितनी सशक्‍त ग़़ज़लें उतनी ही सशक्‍त पत्रकारिता शक्ति का प्रमाण देती इस पोस्‍ट के लिये बधाई के पात्र हैं।
चंद्रसेन विराट जी से मुलाकात में अगर उनके किसी ब्‍लॉग या संपर्क विवरण की जानकारी मिली हो तो जानना चाहूँगा।