मंगलवार, 1 मार्च 2011

ख़्वाब सुहाने दिल को घायल : देवमणि पांडेय की ग़ज़ल



देवमणि पांडेय की ग़ज़ल  

ख़्वाब सुहाने दिल को घायल कर जाते हैं कभी-कभी
अश्कों से आँखों के प्याले भर जाते हैं कभी-कभी

पल-पल इनके साथ रहो तुम इनको तनहा मत छोड़ो
अपने साए से भी बच्चे डर जाते हैं कभी कभी

खेतों को चिड़ियाँ चुग जातीं बीते कल की बात हुई
अब तो मौसम भी फ़सलों को चर जाते हैं कभी-कभी

दुनिया जिनके फ़न को अक्सर अनदेखा कर देती है
वो ही इस दुनिया को रौशन कर जाते हैं कभी कभी

अगर किसी पर दिल आ जाए इसमें दिल का दोष नहीं
अच्छा चेहरा देखके हम भी मर जाते हैं कभी-कभी

शहर में मेरे मिल जाते हैं ऐसे भी कुछ दीवाने
रात-रात भर सड़कें नापें घर जाते हैं कभी-कभी
गीतकार समीर के साथ कवि देवमणि पाण्डेय

आपका
देवमणिपांडेय

सम्पर्क : बी-103, दिव्य स्तुति,
कन्या पाडा, गोकुलधाम, फिल्मसिटी रोड,
गोरेगांव पूर्व, मुम्बई-400063, 98210-82126

1 टिप्पणी:

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

प्रिय बंधुवर देवमणि पाण्डेय जी
सादर सस्नेहाभिवादन !

एक और शानदार ग़ज़ल के लिए बधाई और आभार !
दिल ने चाहा बहुत और मिला कुछ नहीं
ज़िंदगी हसरतों के सिवा कुछ नहीं

बहुत ख़ूबसूरत मतला है जनाब ! मुबारकबाद !

पढ़के देखीं किताबें मोहब्बत की सब
आंसुओं के अलावा मिला कुछ नहीं


आहाऽऽऽ ह … ! भरपूर एहसास का शे'र है …

हर ख़ुशी का मज़ा ग़म की निस्बत से है
ग़म नहीं है अगर तो मज़ा कुछ नहीं

हर शे'र एक एक से बढ़कर है

और हां, एलबम में ग़ज़ल आने के लिए बधाई !

महाशिवरात्रि की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

- राजेन्द्र स्वर्णकार