शुक्रवार, 20 दिसंबर 2013

देवमणि पांडेय ग़ज़ल : यूँ बज़ाहिर देखिए तो फ़ासला




देवमणि पांडेय ग़ज़ल

यूँ बज़ाहिर देखिए तो फ़ासला कोई नहीं
पर किसी के दिल के अंदर झाँकता कोई नहीं

मुस्कराके तुम तो रुख़सत हो गए हमसे मगर
दिल पे क्या गुज़री हमारे जानता कोई नहीं

सोचता हूँ क्यूँ सभी को अजनबी लगता हूँ मैं
क्यूँ मु्झे मेरे सिवा पहचानता कोई नहीं

चंद वादों में सिमट कर रह गई है आशिक़ी
टूटकर अब क्यूँ किसी को चाहता कोई नहीं

एक ही कमरे में दोनों रह रहे हैं साथ-साथ
फिरभी उनके दिल जुदा हैं राब्ता कोई नहीं

मुस्कराकर उसने पूछा हम-सा देखा है कोई
हमने उससे कह दिया बेसाख़्ता कोई नहीं 

मुम्बई की जहाँगीर आर्ट गैलरी में बिजूका सीरीज़ की पेंटिंग प्रदर्शिनी के उदघाटन समारोह में लेखक-अभिनेता अतुल तिवारी, कवि देवमणि पांडेय, चित्रकार अवधेश मिश्रा, फ़िल्मकार श्याम बेनेगल और एक महिला चित्रकार। 25.05.2011

शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2013

इतनी शक्ति हमें देना दाता : गीतकार अभिलाष


सिने गीतकार अभिलाष को गीत गौरव सम्मान

पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह द्वारा कलाश्री अवार्ड से सम्मानित सिने गीतकार अभिलाष का विश्व प्रसिद्ध गीत 'इतनी शक्ति हमें देना दाता' हिंदुस्तान के 600 विद्यालयों में प्रार्थना गीत के रूप में गाया जाता है। विश्व की आठ भाषाओं में इस गीत का अनुवाद हो चुका है और इसे वहाँ भी प्रार्थना गीत के रूप में गाया जाता है। इस गीत के मेल और फीमेल दो संस्करण हैं। एक में सुषमा श्रेष्ठ, पुष्पा पागधरे आदि की आवाज़ें हैं। दूसरे में घनश्याम वासवानी, अशोक खोसला, शेखर सावकार और मुरलीधर की आवाजें हैं। 

संगीतकार कुलदीप सिंह ने इस गीत को एन चंद्रा की फ़िल्म अंकुश (1985) के लिए संगीतबद्ध किया था। इससे पहले फ़िल्म 'साथ साथ' में  कुलदीप सिंह का संगीत सुपरहिट हो चुका था। चंद्रा जी को समय चंदू कहा जाता था। वे फ़िल्म जगत में एक स्ट्रगलर थे। एक दिन वे कुलदीप सिंह के पास गए और बोले- पापा जी, मैंने स्ट्रगल कर रहे कलाकारों की एक टीम बनाई है और उन्हें लेकर एक फ़िल्म कर रहा हूं। कुलदीप सिंह ने बिना पारिश्रमिक मांगे फ़िल्म 'अंकुश' का संगीत दिया। गीतकार अभिलाष ने गीत लिखे। फ़िल्म हिट हुई। गीत संगीत भी हिट हुआ। पब्लिसिटी में हर जगह सिर्फ़ एन चंद्रा का नाम था। इस फ़िल्म की सफलता के साथ वे एन चंद्रा बन गए। उन्होंने पीछे पलट कर दुबारा कुलदीप सिंह और अभिलाष की तरफ नहीं देखा। यही फिल्म जगत का दस्तूर है।

'इतनी शक्ति हमें देना दाता' गीत के अलावा अभिलाष जी के लिखे साँझ भई घर आजा (लता), आज की रात न जा (लता), वो जो ख़त मुहब्बत में (ऊषा), तुम्हारी याद के सागर में (ऊषा), संसार है इक नदिया (मुकेश), तेरे बिन सूना मेरे मन का मंदिर (येसुदास) आदि सिने गीत भी बेहद लोकप्रिय हुए। अभिलाष जी 40 सालों से फ़िल्म जगत में सक्रिय हैं। गीत के अलावा उन्होंने कई फ़िल्मों में बतौर पटकथा-संवाद लेखक भी योगदान किया है। कई टीवी धारावाहिको़ं की स्क्रिप्ट लिखी है। उनके गीत, संगीत की दुनिया की अमूल्य थाती हैं।
गीतकार अभिलाष 

संवाद लेखन और गीत लेखन के लिए अभिलाष को सुर आराधना अवार्ड, मातो श्री अवार्ड, सिने गोवर्स अवार्ड, फ़िल्म गोवर्स अवार्ड, अभिनव शब्द शिल्पी अवार्ड, विक्रम उत्सव सम्मान, हिंदी सेवा सम्मान और दादा साहेब फाल्के अकादमी अवार्ड से सम्मानित किया गया है। अदालत, धूप छाँव, दुनिया रंग रंगीली, अनुभव, संसार, चित्रहार, रंगोली और ॐ नमो शिवाय जैसे अनेक लोकप्रिय धारावाहिकों में अभिलाष ने अपनी क़लम की छाप छोड़ी है। 

गीतकार अभिलाष स्क्रीन राइटर एसोसिएशन के ज्वाइंट सेक्रेटरी और आईपीआरएस के डाइरेक्टर का पद भी संभाल चुके हैं। साथ ही वे अपने प्रोडक्शन हाउस मंगलाया क्रिएशन के तहत टीवी के लिए कई धारवाहिकों का निर्माण भी कर चुके हैं। हिंदी सिने जगत में रचनात्मक योगदान के लिए गीतकार अभिलाष को गीत गौरव सम्मान से विभूषित किया गया। 

गीतकार अभिलाष का जन्म 13 मार्च 1946 को दिल्ली में हुआ। दिल्ली में उनके पिता का व्यवसाय था। वे चाहते थे कि अभिलाष व्यवसाय में उनका हाथ बटाएं। लेकिन ऐसा संभव नहीं हुआ। छात्र जीवन में बारह साल की उम्र में अभिलाष ने कविताएं लिखनी शुरू कर दी थीं। मैट्रिक की पढ़ाई के बाद वे मंच पर भी सक्रिय हो गए। उनका वास्तविक नाम ओम प्रकाश है। उन्होंने अपना तख़ल्लुस 'अज़ीज़' रख लिया। ओमप्रकाश' अज़ीज़' के नाम से उनकी ग़ज़लें, नज़्में और कहानियां कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं। 'अज़ीज़' देहलवी नाम से उन्होंने मुशायरों में शिरकत की। मन ही मन साहिर लुधियानवी को अपना उस्ताद मान लिया। दिल्ली के एक मुशायरे में साहिर लुधियानवी पधारे। नौजवान शायर 'अज़ीज़' देहलवी ने उनसे मिलकर उनका आशीर्वाद लिया। साहिर साहब को कुछ नज़्में सुनाईं। साहिर ने कहा- मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं तुम्हारे मुंह से अपनी नज़्में सुन रहा हूं। तुम अपना रास्ता अलग करो। ऐसी ग़ज़लें और नज़्में लिखो जिसमें तुम्हारा अपना रंग दिखाई पड़े। साहिर का मशविरा मानकर वे अपने रंग में ढल गए। ओमप्रकाश' अज़ीज़' सिने जगत में बतौर गीतकार दाख़िल हुए तो उन्होंने अपना नाम अभिलाष रख लिया।

अभिलाष का कहना है कि अब सिने गीतों को भाषा बदल गई। सिने गीत फास्ट फूड बन गए हैं। इन्हें सुनकर दिल को सुकून नहीं मिलता। पहले गीतों में महबूब को 'आप' कहा जाता था। फिर 'तुम' पर आए और अब 'तू' लिखा जा रहा है। गीतों से शायरी ग़ायब हो गई है। ज़िंदगी की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अब गीत बेचना पड़ता है। मोबाइल की एक कॉलर ट्यून के लिए उपभोक्ता को 30 रूपए महीना भुगतान करना पड़ता है। ‘इतनी शक्ति हमें देना दाता’ गीत को दो करोड़ से अधिक लोगों ने अपनी कॉलर ट्यून बनाया है। कॉपी राइट अमेंडमेंट बिल 2012 पास होने के बावजूद इससे ज़बर्दस्त कमाई करने वाली टी सीरीज़ म्यूज़िक कम्पनी ने इसके गीतकार अभिलाष को कोई भुगतान नहीं किया।

गीतकार अभिलाष मृदुभाषी, मिलनसार और विनम्र इंसान है। उन्होंने कई बेहतरीन ग़ज़लें और नज़्में लिखी हैं। अगर वह मंच पर जाते तो मंच की गरिमा बढ़ती। मगर सिने जगत में आने के बाद उन्हें मंच पर कविता पाठ का आकर्षण नहीं रहा। दोस्ताना महफ़िलों और आत्मीय समारोहों में वे कविता पाठ भी करते हैं। गीतकार अभिलाष मेरे पड़ोसी और मित्र हैं। मेरी दुआ है कि वे हमेशा हंसते मुस्कुराते रहें। यार दोस्तों के साथ महफ़िलें सजाते रहें।
मुम्बई में 30 सितम्बर 2013 की शाम को आयोजित राष्ट्रीय पत्रकार मोर्चा एवं फिशरीज़ यूनीवर्सिटी के सम्मान समारोह में बाएं से (खड़े)- कवि देवकी नंदन बूबना, अतिथि आर.के.सिंह,पत्रकार शत्रुघ्न प्रसाद, कवयित्री रीना राज, आरजे शिल्पा राठी, डॉ.राजेश्वर उनियाल, कवि शेखर अस्तित्व, कवि-अभिनेता रवि यादव, विनीता यादव, पं.वी.नरहरि, चि्त्रकार जैन कमल, संचालक देवमणि पांडेय. बाएं से (बैठे)-शायर प्रमोद कुश, अनिल सहगल, गायिका सीमा सहगल, गीतकार अभिलाष, शायर इब्राहीम अश्क, शायर रफ़ीक जाफ़र, शायर नवाब आरज़ू.


समारोह में आयोजित कवि सम्मेलन-मुशाइरे का संचालन शायर देवमणि पांडेय ने किया। इसमें शिरकत करने वाले कवि-शायर थे- रफ़ीक जाफ़र, नवाब आरज़ू, इब्राहीम अश्क, प्रमोद कुश, रवि यादव, शेखर अस्तित्व, कवयित्री रीना पारीक और शिल्पा राठी। 


लोकार्पण समारोह में कवि संतोष कुमार झा, गायिका सीमा सहगल, साहित्यकार विश्वनाथ सचदेव, डॉ.राजेश्वर उनियाल, वरिष्ठ संगीतकार मोहिन्दरजीत सिंह, कवि- संचालक देवमणि पांडेय. गीत गौरव सम्मान से सम्मानित गीतकार अभिलाष को बधाई देते हुए समारोह के मुख्य अतिथि नवनीत हिंदी डाइजेस्ट पत्रिका के संपादक एवं वरिष्ठ साहित्यकार विश्वनाथ सचदेव ने कहा कि कि जैसे पं चंद्रधर शर्मा गुलेरी ‘उसने कहा था’ कहानी से अमर हो गए, वैसे ही आपका एक गीत ही आपको विश्व में लोकप्रिय बनाने के लिए काफी है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अभिलाषजी सतत रचनारत हैं और अभी अनेक उत्कृष्ट रचनाएं सामने आएँगी। 

सम्मानित गीतकार अभिलाष ने कहा- मैं यह सम्मान पाकर ख़ुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ। इस तरह का सम्मान जीवन को एक नया उत्साह देता है। उन्होंने बताया कि विश्व की आठ भाषाओं में 'इतनी शक्ति हमें देना दाता' का अनुवाद हो चुका है और इसे वहाँ भी प्रार्थना गीत के रूप में गाया जाता है।

सिने गीतकार अभिलाष का स्वागत करत हुए डॉ.राजेश्वर उनियाल 
मु्ख्य अतिथि एवं वरिष्ठ साहित्यकार विश्वनाथ सचदेव ने डॉ.राजेश्वर उनियाल के उपन्यास 'भाड़े का रिक्शा' का विमोचन किया और इस उपन्यास को मुंबई के जीवन का यथार्थ चित्रण बताया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में संतोष कुमार झा (मुख्य उपपरिचालन प्रबंधक पश्चिम रेलवे), वरिष्ठ संगीतकार मोहिन्दरजीत सिंह, गायिका सीमा सहगल और हिंदी सेवी श्री आर.के.सिंह अतिथि के रूप में मौजूद थे। राष्ट्रीय पत्रकार मोर्चा के का.अध्यक्ष शत्रुघ्न प्रसाद ने कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत भाषण किया। इस कार्यक्रम के संयोजक संगीतज्ञ पंडित वी.नरहरि थे। उन्होंने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए वहाँ मौजूद सभी श्रोताओं का धन्यवाद किया और भरोसा दिलाया कि इस तरह के कार्यक्रम भविष्य में भी करते रहेंगे।


दीप जलाते कवि देवमणि पांडेय

गीतकार अभिलाष का गीत
इतनी शक्ति हमें देना दाता


इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमज़ोर हो न
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे भूल कर भी कोई भूल हो न..

हर तरफ़ ज़ुल्म है, बेबसी है, सहमा सहमा-सा हर आदमी है
पाप का बोझ बढता ही जाये, जाने कैसे ये धरती थमी है
बोझ ममता का तू ये उठा ले, तेरी रचना का ये अँत हो न
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे भूल कर भी कोई भूल हो न..

दूर अज्ञान के हों अँधेरे, तू हमें ज्ञान की रौशनी दे
हर बुराई से बचते रहें हम, जितनी भी दे भली ज़िन्दग़ी दे
बैर हो न, किसी का किसी से. भावना मन में बदले की हो न
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे भूल कर भी कोई भूल हो न..

हम न सोचें हमें क्या मिला है, हम ये सोचें किया क्या है अर्पण
फूल खुशियों के बाँटें सभी को सबका जीवन ही बन जाये मधुबन
अपनी करुणा का जल तू बहाकर, करदे पावन हरेक मनका कोना
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे भूल कर भी कोई भूल हो न..

हम अँधेरे मे हैं रौशनी दे, खो न दें खुद को ही दुश्मनी से
हम सज़ा पायें अपने किये की, मौत भी हो तो सह लें खुशी से
कल जो गुज़रा है फिर से न गुज़रे, आनेवाला वो कल ऐसा हो न
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे भूल कर भी कोई भूल हो न..

इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमज़ोर हो न... 



देवमणि पांडेय

सम्पर्क : बी-103, दिव्य स्तुति,
कन्या पाडा, गोकुलधाम, फ़िल्म सिटी रोड,
गोरेगांव पूर्व, मुम्बई-400063, 98210 82126

सोमवार, 22 जुलाई 2013

फ़िल्म तारा : दि जर्नी ऑफ लव ऐंड पैशन



हिंदी फ़िल्म तारा के म्यूज़िक रिलीज समारोह में अभिनेता पंकज पाठक, गीतकार देवमणि पांडेय, गायिका मधुश्री भट्टाचार्य और मुख्य सहायक निर्देशक उत्पल चक्रवर्ती (राहेजा क्लासिक क्लब, अंधेरी पश्चिम, मुम्बई 18 जून 2013)

सावन आया उमड़ घुमड़ कर काले बदरा छाए

बंजारा समुदाय की औरतों की ज़िंदगी पर आधारित फ़िल्म ‘तारा’ में कवि देवमणि पांडेय के गीत ‘सावन आया उमड़-घुमड़ कर काले बदरा छाए’ को संगीतकार सिद्धार्थ कश्यप ने संगीतबद्ध किया है। इस गीत को कभी नीम-नीम,कभी शहद--शहद फेम गायिका मधुश्री भट्टाचार्य ने आवाज़ दी है। के निर्माता-निर्देशक कुमार राज हैं। अभिनेत्री रेखा राना और अभिनेता राज श्राफ पर इस गीत का फ़िल्मांकन हुआ है। गीतकार देवमणि पांडेय ने पिंजर, हासिल, कहाँ हो तुम आदि कई फ़िल्मों और सीरियलों में गीत लिखे हैं। फ़िल्म 'पिंजर' के गीत 'चरखा चलाती माँ' को वर्ष 2003 के लिए ''बेस्ट लिरिक आफ दि इयर'' पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 

हिंदी फ़िल्म तारा (दि जर्नी ऑफ लव ऐंड पैशन) 12 जुलाई 2013 को रिलीज़ हुई। फ़िम का म्यूज़िक टी सीरीज ने जारी किया है। अब तक कई फ़िल्म फेस्टीवेल में प्रदर्शित इस फ़िल्म को छः इंटरनेशनल अवार्ड मिल चुके हैं। फ़िल्म से सम्बंधित जानकारियाँ, समाचार और फोटो इसकी वेबसाइट www.tarathefilm.com पर देख सकते हैं।

फ़िल्म तारा में देवमणि पांडेय का गीत


सावन आया उमड़-घुमड़ कर काले बदरा छाए
तुझ बिन साजन सूना लागे जिया मोरा घबराए
परदेसी राजा घर लौट के आजा…….

दूर गया तू रूठ गई है मुझसे सुबह की लाली
तू जो नहीं तो दिल की दुनिया लगती ख़ाली-ख़ाली
नज़रें बिछी हुई रस्ते पर तेरी आस लगाए
तुझ बिन साजन सूना लागे जिया मोरा घबराए
परदेसी राजा घर लौट के आजा…….

ओ निर्मोही तुझे पुकारे काजल, बिंदिया, कँगना
जिस दिन भी तू लौट के आए महक उठेगा अँगना
तू क्या जाने इन आँखों ने क्या-क्या ख़्वाब सजाए
तुझ बिन साजन सूना लागे जिया मोरा घबराए
परदेसी राजा घर लौट के आजा…….




हिंदी फ़िल्म तारा (दि जर्नी ऑफ लव ऐंड पैशन) के प्रीमियर शो के अवसर पर गीतकार देवमणि पांडेय, निर्माता-निर्देशक कुमार राजू, अभिनेत्री रेखा राना, अभिनेता राज श्राफ, अभिनेता पंकज पाठक, मुख्य सहायक निर्देशक उत्पल चक्रवर्ती, फ़िल्म के लेखक किशन पवार आदि (10 जुलाई 2013)

फ़िल्म तारा : दि जर्नी ऑफ लव ऐंड पैशन में गीतकार देवमणि पांडेय का गीत "परदेसी राजा " (सावन आया उमड़-घुमड़ कर काले बदरा छाए) सुनने के लिए नीचे दिए किसी लिंक पर क्लिक कीजिए-




बुधवार, 26 जून 2013

सूर्यभानु गुप्त : मिट्टी में मिली मिट्टी पानी में मिला पानी

कवि सूर्यभानु गुप्त


मुम्बई के वरिष्ठ रचनाकार सूर्यभानु गुप्त एक प्रयोगधर्मी ग़ज़लकार हैं। मगर उनका हर प्रयोग काव्य की गरिमा से समृद्ध होता है। वे हमेशा कथ्य, ज़बान और लहजे की ख़ूबसूरती की एक मिसाल पेश करते हैं। उनकी इस ग़ज़ल में ‘पानी’ सिर्फ़ रदीफ़ ही नहीं है बल्कि वही हर शेर का केंद्रीय भाव भी है। इस भाव में सार्थकता, विस्तार, विविधता, गहराई और ऊँचाई है। बरसात के इस सुहाने मौसम में आप डूबकर पानीदार ग़ज़ल पढ़िए और अपनी राय हमें भेजिए। पिछली बार इसमें 23 शे'र थे। बारिश की तबाही ने इसे अब 42 शे'र की ग़ज़ल बना दिया है।  - देवमणि पांडेय
 

सूर्यभानु गुप्त की ग़ज़ल


आँखों में पड़े छाले, छालों से बहा पानी
इस दौर के सहरा में, ढूँढ़े न मिला पानी।1

दुनिया ने कसौटी पर, ता उम्र कसा पानी,
बनवास से लौटा तो शोलों पे चला पानी।2

शोलों से गुज़र कर भी सूली पे टँगा पानी
बनवास से आकर फिर बनवास गया पानी।3।

गुज़रे हुए पुरखों को जिसने भी दिया पानी
उस शख़्स के हथों का मश्कूर1 हुआ पानी।4।

पर्वत के ज़ुबां फूटी, इक शोर उठा, पानी !
मन्ज़र पे बना मन्ज़र, पानी पे गिरा पानी।5

आकाश फटा ऐसा धरती ने भरा पानी
बरखा ने हदें तोड़ीं, पानी पे चढ़ा पानी।6।

सागर से बग़ावत पर जब ज़िद पे अड़ा पानी
उस वक़्त सुनामी के पैकर2 में ढला पानी।7।

लोगों ने कभी ऐसा, देखा न सुना पानी,
पानी में बही बस्ती, बस्ती में बहा पानी।8

सागर की जगह घेरी पत्थर के मकानों ने
बारिश में नहीं अपने आपे में रहा पानी।9

सैलाब ने हर घर की सूरत ही बदल डाली,
रुकने को किसी घर में, पल भर न रुका पानी।10

दरिया से जुदा होकर बाज़ार में आ पहुँचा
बादल न जो बन पाया बोतल में बिका पानी ।11

मन्दिर हो कि मस्जिद हो, गिरिजा हो कि गुरुद्वारा
आजाद़ रहे जब तक, लगता है भला पानी।12

बन्दे से ख़ुदा बनते, देखा है उन्हें हमने
जो लोग कराते हैं, पानी से जुदा पानी।13

लेने लगी फूलों से अब काम बमों का भी
इस दर्जा सियासत की आँखों का मरा पानी।14।

तहज़ीब की आँखों से दिन-रात लहू छलका
पत्थर की हवेली में यूँ लुटता रहा पानी।15।

देखा है जिन आँखों ने जलते हुए जंगल को,
रहता है उन आँखों में, हर वक्त़ हरा पानी।16

ऐ दश्ते-जुनूं3 तेरे सूखे हुए काँटों पर
हमने तो लहू छिड़का, दुनिया ने कहा पानी।17।

बेआब4 न थे इतने हम दौरे-ग़ुलामी में,
बतलाए कोई जोषी किस देश गया पानी।18

संसार में पानी से महरूम5 रहे प्यासे
कमज़र्फ़ों6 के क़ब्ज़े में हर युग में रहा पानी।19।

हर सिम्त7 मुक़ाबिल8 थीं बस धूप की तलवारें,
पर आख़िरी क़तरे तक सहरा में लड़ा पानी।20।

ख़ामोशी से हर युग में सूली पे चढ़े हँसकर
अल्लाह के बंदों का देता है पता पानी।21।

देखा न कोई प्यासा फिर इब्ने अली9 जैसा
और प्यास भी कुछ कि ऐसी क़ुर्बान गया पानी।22।

जब प्यास अँधेरों के घर बैठ गई जाकर
जलते हैं दीये जैसे सहरा में जला पानी।23।

आ जाए है पानी पे चलने का हुनर जिसको
मूसा10 की तरह उसको देता है जगा पानी।24।

दुनिया में नहीं मुमकिन पानी के बिना जीना
दुनिया के लिए जैसे हो माँ की दुआ पानी।25।

पानी न मिला जिस दिन रोएगी लहू दुनिया
हर सिम्त से उट्ठेगी बस एक सदा पानी।26।

अब जंग अगर होगी, पानी के लिए होगी
हर शख़्स से माँगेगा अब ख़ूनबहा11 पानी।27।

उस पार हर इक युग में महीवाल का डेरा था,
कच्चा था घड़ा जिसका काटे न कटा पानी।28।

हर लफ़्ज़ का मानी से रिश्ता है बहुत गहरा,
हमने तो लिखा बादल और उसने पढ़ा पानी।29।

दस्तक दी दरे-दिल12 पर बरसात के मौसम ने
दो शख़्स मिले ऐसे जैसे कि हवा-पानी।30।

अँगनाई से तन-मन तक कुछ भी न बचा कोरा
इस बार के सावन में य़ूँ जम के गिरा पानी।31

हम जब भी मिले उससे, हर बार हुए ताज़ा
बहते हुए दरिया में हर पल है नया पानी।32।

वीरान हम इतने थे, जंगल न कोई होगा
इक शाम पहनने को यादों ने बुना पानी।33।

घर छोड़के निकलें तो संसार के काम आएँ
कब धूप को पहने बिन बनता है घटा पानी।34।

इस दुनिया में रहकर भी दुनिया में नहीं रहना
जिस दिन ये हुनर आया, तारीख़13 बना पानी।35।

लोगों को महाभारत देता है यही इब्रत14
जो हक़15 पे चला उसका दुनिया में रहा पानी।36।

क़द्रों16 के लिए जीना, क़द्रों के लिए मरना
रखता है वक़ार17 अपना सहरा में सदा पानी।37।

इक मोम के चोले में धागे का सफ़र दुनिया,
अपने ही गले लग कर रोने की सज़ा पानी।38।

जन्नत थी मगर हमको झुक कर न उठानी थी,
काँधों पे रहा चेहरा, चेहरे पे रहा पानी ।39।

इक हूक-सी उट्ठे है धरती के कलेजे से
बेटे-सा हुआ जब भी धरती से जुदा पानी।40।

जिस दिन मैं गुज़र जाऊँ दरिया में बहा देना
मिट्टी की पसंदीदा पोशाक सदा पानी।41।

हर एक सिकन्दर का अन्जाम यही देखा
मिट्टी में मिली मिट्टी, पानी में मिला पानी।42

1-आभारी 2-रूप या आकार 3-उन्माद का वन 4-निस्तेज 5-वंचित 6-अधम या कुपात्र 7-दिशा 8-सामने 9-इस्लाम धर्म के अंतिम पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद के नाती व ख़लीफ़ा अली के सुपुत्र इमाम हुसैन साहब जो ईराक के कर्बला नामक स्थान पर निर्दयी शासक यज़ीद की फ़ौजों के हाथों दस दिनों के भीषण युद्ध के बाद प्यासे लड़ते हुए शहीद हुए। 10-मिस्रवासी पैग़म्बर हज़रत मोज़ेस 11-प्राणों का मूल्य 12-हृदय द्वार 13-इतिहास 14-सीख 15-सत्य 16-जीवन-मूल्य 17-मान-प्रतिष्ठा


परिचय : कवि सूर्यभानु गुप्त

जन्म  :  22 सितम्बर, 1940, नाथूखेड़ा (बिंदकी), जिला : फ़तेहपुर ( उ.प्र.)। बचपन से ही मुंबई में । 12 वर्ष की उम्र से कविता लेखन।
प्रकाशन  : पिछले 50 वर्षो के बीच विभिन्न काव्य-विधाओं में 600 से अधिक रचनाओं के अतिरिक्त 200 बालोपयोगी कविताएँ प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। समवेत काव्य-संग्रहों  में संकलित एवं गुजराती, पंजाबी, अंग्रेजी में अनूदित ।
फ़िल्म गीत-लेखन : गोधूलि (निर्देशक गिरीश कर्नाड ) एवं आक्रोश तथा संशोधन (निर्देशक गोविन्द निहलानी ) जैसी प्रयोगधर्मा फ़िल्मों के अतिरिक्त कुछ नाटकों तथा आधा दर्जन दूरदर्शन- धारवाहिकों में गीत शामिल।
प्रथम काव्य-संकलन : एक हाथ की ताली (1997), वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली 110 002
पुरस्कार : 1.भारतीय बाल-कल्याण संस्थान, कानपुर, 2.परिवार पुरस्कार (1995), मुम्बई
पेशा : 1961 से 1993 तक विभिन्न नौकरियाँ । सम्प्रति स्वतंत्र लेखन ।
सम्पर्क : 2, मनकू मेंशन, सदानन्द मोहन जाधव मार्ग, दादर ( पूर्व ), मुम्बई- 40001,
दूरभाष : 090227-42711  /  022-2413-7570