गुरुवार, 24 मार्च 2011

चाहत,वफ़ा,ख़ुलूस की दौलत : देवमणि पांडेय की ग़ज़ल



           देवमणि पांडेय की ग़ज़ल

चाहत,वफ़ा,ख़ुलूस की दौलत नहीं रही
अपने ही दिल पे अपनी हुकूमत नहीं रही

घेरे में अपने क़ैद है इंसान इस तरह
इक दूसरे से जैसे मुहब्बत नहीं रही

बचपन की पीठ पर है किताबों का एक बोझ
बच्चों को खेलकूद की मोहलत नहीं रही

अब वक़्त ही कहाँ है किसी और के लिए
ख़ुद से ही हमको मिलने की फ़ुर्सत नहीं रही

हम बोलते हैं झूठ भी कितने यक़ीन से
सच से नज़र मिलाने की हिम्मत नहीं रही

रुख़सत हुआ तो आँख किसी की भी नम न थी
             शायद किसी को मेरी ज़रूरत नहीं रही

फ़िल्म ‘कहाँ हो तुम’ का मुहूर्त चित्र

बतौर गीतकार दिसम्बर 1999 में मेरी पहली फ़िल्म ‘कहाँ हो तुम’ का मुहूर्त हुआ था। इसमें समीर सोनी, सोनू सूद, शर्मन जोशी और इशिता अरुण की प्रमुख भूमिकाएं थीं। निर्देशक थे विजय कुमार और संगीत रजत ढोलकिया ने दिया था।


Devmani Pandey : 98210-82126

शुक्रवार, 18 मार्च 2011

कुछ ख़्वाब सजाने से : देवमणि पांडेय की ग़ज़ल


देवमणि पांडेय की ग़ज़ल

कुछ ख़्वाब सजाने से, कुछ ज़ख़्म छुपाने से
रिश्ता तो मुहब्बत का निभता है निभाने से

रस्मों को बदलने की ज़िद मँहगी पड़ी लेकिन
जीने का मज़ा आया टकराके ज़माने से

ये प्यार वो जज़्बा है तासीर अजब जिसकी
मिलता है मज़ा इसमें घर-बार लुटाने से

रुस्वाई से चाहत का रिश्ता ही पुराना है
छुपता ही नहीं दिल का ये दाग़ छुपाने से

गलियों में भटकने की आदत है हमें अबतक
मिलते हैं यहीं अक्सर कुछ दोस्त पुराने से


मधुप शर्मा के ग़ज़ल  संग्रह का लोकार्पण अभिनेता इरफ़ान ख़ान और डॉ चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने किया।


देवमणि पांडेय : 98210-82126

सोमवार, 14 मार्च 2011

इश्क़ में दिल का दाम : देवमणि पांडेय की ग़ज़ल


देवमणि पांडेय की ग़ज़ल

इश्क़ में दिल का दाम बहुत है
फिर भी दिल बदनाम बहुत है
           
छोड़ दिया है साथ सभी ने
लेकिन अब आराम बहुत है
           
दूर हूँ मैं ऐसे लोगों से
जो कहते हैं काम बहुत है

दिल के कितने छोटे निकले
जिन लोगों का नाम बहुत है

लब खामोश हैं रहने दीजै
आँखों का पैग़ाम बहुत है
                       
तलब नहीं है मुझे ख़ुशी की
ग़म का ये इनआम बहुत है
           
तुम आने वाले हो शायद 
महकी महकी शाम बहुत है



ग़ज़ल अलबम : दस्तक-एक एहसास

राइटर्स क्लब चंडीगढ़ ने पिछले रविवार 13 मार्च को एक ग़ज़ल अलबम जारी किया- दस्तक-एक एहसास। प्राचीन कलाकेंद्र की निदेशक श्रीमती शोभा कौसर, चण्डीगढ़ दूरदर्शन के निदेशक डॉ.के.रत्तू, पंजाब यूनीवर्सिटी (चण्डीगढ़) के संगीत विभाग के अध्यक्ष प्रो.पंकज माला और मशहूर पंजाबी गायक भाई अमरजीत इस अवसर पर अतिथि के रूप में मौजूद थे। इसमें शामिल गायिका परिणीता गोस्वामी और रूपांजलि हज़ारिका असम की हैं। गायक देव भारद्वाज, आर.डी.कैले और संजीव चौहान चंडीगढ़ के हैं। संगीतकार देव भारद्वाज ने इसमें देवमणि पांडेय की एक ग़ज़ल शामिल की है। आप भी इसका लुत्फ़ उठाएं।

देवमणि पांडेय की ग़ज़ल

खिली धूप में हूँ, उजालों में गुम हूँ
अभी मैं किसी के ख़यालों में गुम हूँ

मेरे दौर में भी हैं चाहत के क़िस्से
मगर मैं पुरानी मिसालों में गुम हूँ

मेरे दोस्तो ! मेहरबानी तुम्हारी
कि मैं जो सियासत की चालों में गुम हूँ

कहाँ जाके ठहरेगी दुनिया हवस की
नए दौर के इन सवालों में गुम हूँ

मेरी फ़िक्र परवाज़ करके रहेगी
अभी मैं किताबों, रिसालों में गुम हूँ

दिखाएँ जो इक दिन सही राह सबको
मैं नेकी के ऐसे हवालों में गुम

Devamani Pandey : 98210-82126

गुरुवार, 10 मार्च 2011

ख़ुशी का अपना रुतबा है : देवमणि पांडेय की ग़ज़ल



देवमणि पांडेय की ग़ज़ल

ख़ुशी का अपना रुतबा है कभी जो कम नहीं होता
मगर दुनिया में ग़म जैसा कोई हमदम नहीं होता

मैं अपनी दास्तां लेकर किसी के पास क्या जाऊँ
कुछ ऐसे ज़ख़्म हैं जिनका कोई मरहम नहीं होता

किसी का मिलना क़िस्मत है बिछड़ जाना मुक़द्दर है
बिछड़ने से कभी चाहत का जज़्बा कम नहीं होता

अगर वो वक़्ते-रुख़सत मुस्कराकर देख लेते तो
हमें उनसे बिछड़ने का ज़रा भी ग़म नहीं होता

कभी इक बूँद आँसू से तड़प उठता है दिल अपना
कभी अश्कों की बारिश से ये काग़ज़ नम नहीं होता

उन्हें मालूम क्या होगा कि लुत्फ़े-ज़िंदगी क्या है
कभी यादों में जिनकी दर्द का मौसम नहीं होता

चित्र : नेशनल कॉलेज बांद्रा, मुम्बई के संगीत समारोह में कवि देवमणि पाण्डेय,
प्रिंसिपल डॉ.मंजुला देसाई और शास्त्रीय गायिका ज्योति गाँधी


आपका
देवमणिपांडेय

सम्पर्क : बी-103, दिव्य स्तुति,
कन्या पाडा, गोकुलधाम, फिल्मसिटी रोड,
गोरेगांव पूर्व, मुम्बई-400063, 98210-82126

सोमवार, 7 मार्च 2011

जब तलक रतजगा नहीं चलता : देवमणि पाण्डेय की ग़ज़ल


देवमणि पाण्डेय की  ग़ज़ल

जब तलक रतजगा नहीं चलता
इश्क़ क्या है पता नहीं चलता

ख़्वाब की रहगुज़र पे आ जाओ
प्यार में फ़ासला नहीं चलता

उस तरफ़ चल के तुम कभी देखो
जिस तरफ़ रास्ता नहीं चलता

कोई दुनिया है क्या कहीं ऐसी
जिसमें शिकवा-गिला नहीं चलता

दिल अदालत है इस अदालत में
वक़्त का फ़ैसला नहीं चलता

लोग चेहरे बदलते रहते हैं
कौन क्या है पता नहीं चलता

चित्र : कवि देवमणि पाण्डेय (माइक पर), शायर अब्दुल अहद साज़,
शायर ज़फ़र गोरखपुरी, शायर हैदर नजमी और शायर सईद राही

आपका-
देवमणिपांडेय 

सम्पर्क : बी-103, दिव्य स्तुति,
कन्या पाडा, गोकुलधाम, फिल्मसिटी रोड,
गोरेगांव पूर्व, मुम्बई-400063, 98210-82126

मंगलवार, 1 मार्च 2011

ख़्वाब सुहाने दिल को घायल : देवमणि पांडेय की ग़ज़ल



देवमणि पांडेय की ग़ज़ल  

ख़्वाब सुहाने दिल को घायल कर जाते हैं कभी-कभी
अश्कों से आँखों के प्याले भर जाते हैं कभी-कभी

पल-पल इनके साथ रहो तुम इनको तनहा मत छोड़ो
अपने साए से भी बच्चे डर जाते हैं कभी कभी

खेतों को चिड़ियाँ चुग जातीं बीते कल की बात हुई
अब तो मौसम भी फ़सलों को चर जाते हैं कभी-कभी

दुनिया जिनके फ़न को अक्सर अनदेखा कर देती है
वो ही इस दुनिया को रौशन कर जाते हैं कभी कभी

अगर किसी पर दिल आ जाए इसमें दिल का दोष नहीं
अच्छा चेहरा देखके हम भी मर जाते हैं कभी-कभी

शहर में मेरे मिल जाते हैं ऐसे भी कुछ दीवाने
रात-रात भर सड़कें नापें घर जाते हैं कभी-कभी
गीतकार समीर के साथ कवि देवमणि पाण्डेय

आपका
देवमणिपांडेय

सम्पर्क : बी-103, दिव्य स्तुति,
कन्या पाडा, गोकुलधाम, फिल्मसिटी रोड,
गोरेगांव पूर्व, मुम्बई-400063, 98210-82126