शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015
सोमवार, 23 फ़रवरी 2015
देवमणि पांडेय की ग़ज़ल : दुःख की लम्बी राहों में भी
देवमणि पांडेय की ग़ज़ल
दुःख
की लम्बी राहों में भी सुख की थोड़ी आस रहे
फिर
ख़ुशियों के पल आएँगे दिल में ये एहसास रहे
इस
दुनिया की भीड़ में अकसर चेहरे गुम हो जाते हैं
रखनी
है पहचान तो अपना चेहरा अपने पास रहे
आदर्शों
को ढोते-ढोते ख़ुद से दूर निकल आए
और
न जाने कितने दिन तक देखो ये वनवास रहे
लफ़्ज़
अगर पत्थर हो जाएँ रिश्ते टूट भी सकते हैं
बेहतर
है लहजे में अपने फूलों-सी बू-बास रहे
कहीं
भी जाएं दिल का मौसम इक जैसा ही रहता है
अपने
दिल के दरपन में इक चेहरा बारो-मास रहे
देवमणि पांडेय : 98210-82126
सदस्यता लें
संदेश (Atom)