सोमवार, 14 मार्च 2011

इश्क़ में दिल का दाम : देवमणि पांडेय की ग़ज़ल


देवमणि पांडेय की ग़ज़ल

इश्क़ में दिल का दाम बहुत है
फिर भी दिल बदनाम बहुत है
           
छोड़ दिया है साथ सभी ने
लेकिन अब आराम बहुत है
           
दूर हूँ मैं ऐसे लोगों से
जो कहते हैं काम बहुत है

दिल के कितने छोटे निकले
जिन लोगों का नाम बहुत है

लब खामोश हैं रहने दीजै
आँखों का पैग़ाम बहुत है
                       
तलब नहीं है मुझे ख़ुशी की
ग़म का ये इनआम बहुत है
           
तुम आने वाले हो शायद 
महकी महकी शाम बहुत है



ग़ज़ल अलबम : दस्तक-एक एहसास

राइटर्स क्लब चंडीगढ़ ने पिछले रविवार 13 मार्च को एक ग़ज़ल अलबम जारी किया- दस्तक-एक एहसास। प्राचीन कलाकेंद्र की निदेशक श्रीमती शोभा कौसर, चण्डीगढ़ दूरदर्शन के निदेशक डॉ.के.रत्तू, पंजाब यूनीवर्सिटी (चण्डीगढ़) के संगीत विभाग के अध्यक्ष प्रो.पंकज माला और मशहूर पंजाबी गायक भाई अमरजीत इस अवसर पर अतिथि के रूप में मौजूद थे। इसमें शामिल गायिका परिणीता गोस्वामी और रूपांजलि हज़ारिका असम की हैं। गायक देव भारद्वाज, आर.डी.कैले और संजीव चौहान चंडीगढ़ के हैं। संगीतकार देव भारद्वाज ने इसमें देवमणि पांडेय की एक ग़ज़ल शामिल की है। आप भी इसका लुत्फ़ उठाएं।

देवमणि पांडेय की ग़ज़ल

खिली धूप में हूँ, उजालों में गुम हूँ
अभी मैं किसी के ख़यालों में गुम हूँ

मेरे दौर में भी हैं चाहत के क़िस्से
मगर मैं पुरानी मिसालों में गुम हूँ

मेरे दोस्तो ! मेहरबानी तुम्हारी
कि मैं जो सियासत की चालों में गुम हूँ

कहाँ जाके ठहरेगी दुनिया हवस की
नए दौर के इन सवालों में गुम हूँ

मेरी फ़िक्र परवाज़ करके रहेगी
अभी मैं किताबों, रिसालों में गुम हूँ

दिखाएँ जो इक दिन सही राह सबको
मैं नेकी के ऐसे हवालों में गुम

Devamani Pandey : 98210-82126

2 टिप्‍पणियां:

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति| धन्यवाद|

सुभाष नीरव ने कहा…

बहुत खूब ! एक अच्छी ग़ज़ल पढ़ने को मिली !