गुरुवार, 5 मई 2016

देवमणि की पांडेय ग़ज़ल : जो मिल गया है


 देवमणि की पांडेय ग़ज़ल

जो मिल गया है उससे भी बेहतर तलाश कर
क़तरे में भी छुपा है समंदर तलाश कर

हाथों की इन लकीरों ने मुझसे यही कहा
अपनी लगन से अपना मुक़द्दर तलाश कर

आँगन में नीम, शाख़ पे चिड़ियों का घोसला
जो तुझसे खो गया है वही घर तलाश कर

तू है अगर मसीहा तो यह एक काम कर
टूटे न जिससे शीशा वो पत्थर तलाश कर

इस तेज़ रौशनी में नज़र आता कुछ नहीं
आँखों को दे सुकून वो मंज़र तलाश कर

क्या ढूँढता फिरता है तू उसको इधर-उधर
वो दिल में है छुपा कहीं अंदर तलाश कर
 

DEVMANI PANDEY

Contact : 98210-82126
 

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