गुरुवार, 5 मई 2016

संध्या रियाज़ का काव्य संकलन : बदलती लकीरें


चित्र में (बाएं से दाएं) : शायरा प्रज्ञा विकास, शायर देवमणि पांडेय, शायर रामगोविंद अतहर, कवयित्री संध्या रियाज़, डॉ.करुणा शंकर उपाध्याय, कवयित्री माया गोविंद, मुशायरे के सद्र जनाब जावेद सिद्दीक़ी, शायर डॉ. क़ासिम इमाम, शायर असद अजमेरी,  शायर आलम निज़ामी, और कवयित्री डॉ.अंजना संधीर


काव्य संकलन बदलती लकीरें का लोकार्पण 

जीवंती फाउंडेशन ने शनिवार 23 अप्रैल 2016 की शाम को भवंस कल्चरल सेंटर मुम्बई के एसपी जैन सभागार में महफ़िल-ए-मुशायरा का आयोजन किया। इस अवसर पर कवयित्री संध्या रियाज़ के काव्य संकलन 'बदलती लकीरें' का लोकार्पण डॉ.करुणा शंकर उपाध्याय ने किया। मुशायरे में शायर डॉ क़ासिम इमाम, माया गोविंद , रामगोविंद अतहर, देवमणि पांडेय, असद अजमेरी, आलम निज़ामी, डॉ.अंजना संधीर और संध्या रियाज़ ने शिरकत की। मुशायरे का संचालन प्रज्ञा विकास ने किया। मुशायरे की सदारत प्रतिष्ठित रंगकर्मी एवं फ़िल्म लेखक जनाब जावेद सिद्दीक़ी ने की।


देवमणि पांडेय की ग़ज़ल

उसने मुझको हंसकर देखा और तनिक शरमाई भी. 
लूट लिया दिल शोख़ अदा ने वो मेरे मनभाई भी’

पलक झपकते हुआ करिश्मा ख़ुशबू जागी आंखों में, 
साथ हमारे महक उठी है आज बहुत पुरवाई भी.

ये रिश्ता है नाज़ुक रिश्ता इसके हैं आदाब अलग, 
ख़्वाब उसी के देख रहा हूँ जिसने नींद उड़ाई भी.

छलनी दिल को जैसे तैसे हमने आख़िर रफ़ू किया, 
मगर अभी तक कुछ ज़ख़्मों की बाक़ी है तुरपाई भी.

प्यार-मुहब्बत की राहों पर सोच समझकर पांव रखो,
परछाईं बनकर चलती है साथ-साथ रुसवाई भी.

उसकी यादों की ख़ुशबू से दिल कुछ यूं आबाद रहा,
मैं भी ख़ुश हूं मेरे घर में और मेरी तनहाई भी.

देवमणि पाण्डेय : 98210-82126
https://twitter.com/DevmaniPandey5

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