सोमवार, 8 फ़रवरी 2021

आधारशिला : कवि मंगलेश डबराल पर केंद्रित


आधारशिला : कवि मंगलेश डबराल पर विशेष

अपने-अपने दौर में बड़ी कविता उन्हीं लोगों ने लिखी है जो कविता को जीवन के बीच खोजते रहे। कबीर, मीरा, निराला, मुक्तिबोध आदि कवियों में समय और संवेदना का बहुत अंतराल है पर अगर कबीर और मीरा की कविता हमें आज भी विचलित कर देती है और इतनी पुरानी होने के बावजूद आधुनिक और आवश्यक लगती है तो इसलिए कि उन्होंने कविता को जीवन से दूर और अलग नहीं माना और वे उस कविता को साहस के साथ धरती पर उतार लाए जो एक धुंधली शक्ल में हवा में तैर रही थी।

यह कहना है हिंदी के  दिवंगत कवि  मंगलेश डबराल का। आधारशिला के जनवरी 2021 अंक  में कवि मंगलेश डबराल पर विशेष सामग्री दी गई है। साहित्य, समय और समाज के बारे में मंगलेश डबराल जी से की गई बातचीत बहुत महत्वपूर्ण और सार्थक है। मंगलेश जी के अनुसार कविता के जो बुनियादी कथ्य रहे हैं उनमें एक यह है कि हम अपने जीवन, अस्तित्व और नियति के सवालों का सामना करें।

मंगलेश जी का यह कहना भी ग़ौरतलब है कि आज़ादी के बाद से हिंदी में जो भी सार्थक कविता लिखी गई है उसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वह चीखना चिल्लाना तो दूर, बोलती भी बहुत कम है पर कहती बहुत कुछ है और इस कहने में ही वह सत्ता प्रतिष्ठान से अपने बुनियादी विरोध को दर्ज कर देती है।

आधारशिला के इस अंक में शामिल कहानियां, कविताएं, फ़िल्म समीक्षा, आलेख और अन्य रचनाएं भी अच्छी और पठनीय हैं।

उल्लेखनीय है कि आधारशिला के प्रधान संपादक दिवाकर भट्ट विदेशों में हिन्दी साहित्य और हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए कटिबद्ध हैं। वे हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा बनाने के अभियान से भी जुड़े हैं।

सम्पर्क का पता है-

आधारशिला प्रधान : संपादक दिवाकर भट्ट
बड़ी मुखानी, हल्द्वानी, नैनीताल (उत्तराखंड)- 263 139 फ़ोन : 98970 872 48 , 86501 636 23

आपका-
देवमणि पांडेय

सम्पर्क : बी-103, दिव्य स्तुति, 
कन्या पाडा, गोकुलधाम, फ़िल्मसिटी रोड, 
गोरेगांव पूर्व, मुम्बई-400063
98210 82126

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