देवमणि पांडेय की ग़ज़ल
दुनिया
से जो मिला है वह दर्द किससे बाँटें
पत्थर
की बस्तियों में ये उम्र कैसे काटें
ये
क्या हुआ लबों की मुस्कान क्यों है ज़ख़्मी
बच्चों
को आप डाटें, ऐसे मगर न डाटें
है
वक़्त का तक़ाज़ा नज़रों में वो हुनर हो
कंकर
के ढेर से बस हीरों की आप छाँटें
दिन
का हरेक लम्हा वो दर्द दे गया है
तारे
न हम गिनें तो फिर रात कैसे काटें
आबाद
होगी उस पल ख़्वाबों की एक दुनिया
जो
बीच हैं दिलों के उन दूरियों को पाटें
देवमणि पांडेय : 98210-82126
10 टिप्पणियां:
प्यार नहीं मिलता तो कोई बात नहीं
आँखों में ये ख़्वाब सजाना अच्छा है
सच्ची बात!
सुन्दर प्रस्तुति!
इश्क़ में थोड़ा नाम कमाना अच्छा है....
jai baba banaras....
आपकी पाँचों ग़ज़लें भरपूर रवानी लिए हुए हैं...हर शेर कारीगरी से गढ़ा हुआ है...इन बेहद खूबसूरत ग़ज़लों के लिए दिली दाद कबूल करें
नीरज
प्यार मुहब्बत के रंगों को बिखेरती सुन्दर ग़ज़लें पेश करने के लिए बधाई पांडेय जी
सभी ग़ज़ल एक से एक.. श्रृंगार रस की बेहतरीन रचनाएं..
दिल की दिल में रह जाती है हम जैसों की, हमारे दिल का यूं हाल सुनाना अच्छा है।
सभी गज़लें बेहद खूबसूरत है, दिल को छूती हुई, जज्बातों की सहज प्रस्तुति के लिए बधाई......
बेहद लाजवाब ... कमाल की ग़ज़लें हैं सभी ..
Devmani Saahab, Maine Pichhle Do-Teen saalon se lutf uthaya hai aapki Gazlon ka... Wo pahli gazal thi... "Khushbuon ka Gahna...Log to kuchh bhi bolenge."
Comment publishing me shayad kuchh takniki rukawat hai.
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