बुधवार, 19 अक्टूबर 2011

दुनिया से जो मिला है : देवमणि पांडेय की ग़ज़ल




देवमणि पांडेय की ग़ज़ल

दुनिया से जो मिला है वह दर्द किससे बाँटें
पत्थर की बस्तियों में ये उम्र कैसे काटें

ये क्या हुआ लबों की मुस्कान क्यों है ज़ख़्मी
बच्चों को आप डाटें, ऐसे मगर न डाटें

है वक़्त का तक़ाज़ा नज़रों में वो हुनर हो
कंकर के ढेर से बस हीरों की आप छाँटें

दिन का हरेक लम्हा वो दर्द दे गया है
तारे न हम गिनें तो फिर रात कैसे काटें

आबाद होगी उस पल ख़्वाबों की एक दुनिया

जो बीच हैं दिलों के उन दूरियों को पाटें


देवमणि पांडेय : 98210-82126

10 टिप्‍पणियां:

अनुपमा पाठक ने कहा…

प्यार नहीं मिलता तो कोई बात नहीं
आँखों में ये ख़्वाब सजाना अच्छा है
सच्ची बात!

सुन्दर प्रस्तुति!

Unknown ने कहा…

इश्क़ में थोड़ा नाम कमाना अच्छा है....

jai baba banaras....

नीरज गोस्वामी ने कहा…

आपकी पाँचों ग़ज़लें भरपूर रवानी लिए हुए हैं...हर शेर कारीगरी से गढ़ा हुआ है...इन बेहद खूबसूरत ग़ज़लों के लिए दिली दाद कबूल करें

नीरज

www.navincchaturvedi.blogspot.com ने कहा…

प्यार मुहब्बत के रंगों को बिखेरती सुन्दर ग़ज़लें पेश करने के लिए बधाई पांडेय जी

Pratik Maheshwari ने कहा…

सभी ग़ज़ल एक से एक.. श्रृंगार रस की बेहतरीन रचनाएं..

राकेश चौरसिया ने कहा…

दिल की दिल में रह जाती है हम जैसों की, हमारे दिल का यूं हाल स‌ुनाना अच्छा है।

अंजू शर्मा ने कहा…

सभी गज़लें बेहद खूबसूरत है, दिल को छूती हुई, जज्बातों की सहज प्रस्तुति के लिए बधाई......

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बेहद लाजवाब ... कमाल की ग़ज़लें हैं सभी ..

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

Devmani Saahab, Maine Pichhle Do-Teen saalon se lutf uthaya hai aapki Gazlon ka... Wo pahli gazal thi... "Khushbuon ka Gahna...Log to kuchh bhi bolenge."

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

Comment publishing me shayad kuchh takniki rukawat hai.