हिंदी ग़ज़ल के प्रमुख हस्ताक्षर प्रो.नंदलाल पाठक अपनी ग़ज़लों में अपने समय को बख़ूबी अभिव्यक्त करते हैं –
वे जो सूरज के साथ तपते हैं
उनको इक शाम तो सुहानी दो
खेत की ओर ले चलो दिल्ली
गाँव वालों को राजधानी दो
उनका सेंस ऑफ ह्यूमर भी कमाल का है-
मुझको मंज़ूर है बुढ़ापा भी
लेखनी को मेरी जवानी दो
बनारसी कवि नंदलाल पाठक की रचनाओं में इतनी ताज़गी इसलिए है क्योंकि उन्होंने आज तक बचपन को ख़ुद से जुदा नहीं होने दिया । वे लिखते हैं –
कल तितलियाँ दिखीं तो मेरे हाथ बढ़ गए
मुझको गुमान था कि मेरा बचपन गुज़र गया
अपने दौर के प्रमुख शायरों की तरह पाठकजी भी ने हिंदी ग़ज़ल को एक नई परिभाषा दी है –
ज़िंदगी कर दी निछावर तब कहीं पाई ग़ज़ल
कुछ मिलन की देन है तो कुछ है तनहाई
ज़हर पीता हुआ हर आदमी शंकर नहीं होता
न जब तक आदमी इंसान हो शायर नहीं होता
ज़रूरत आपको कुछ भी नहीं सजने सँवरने की
किसी हिरनी की आँखों में कभी काजल नहीं होता
पाठकजी की ग़ज़लों में एक फ़कीराना अदा है। उन्होंने दुष्यंत कुमार की ग़ज़ल परम्परा को आगे बढ़ाने की शानदार कोशिश की है-
उतारें क़ाग़जों पर पुल तो इतना देख लेना था
जहाँ पुल बन रहा है उस जगह कोई नदी तो हो
एक अच्छा कवि हमेशा अपने समय से बहुत आगे होता है। पाठकजी ने भी ऐसे शेर कहे हैं जो इस सदी के आने वाले सालों का प्रतिनिधित्व करते हैं-
पाठकजी के अनुसार ग़ज़ल लेखन एक ज़िम्मेदारी और मुश्किलों भरा काम है । उनकी बात का समर्थन उनका एक मुक्तक भी करता है-
शायरी ख़ुदकशी का धंधा है
लाश अपनी है अपना कंधा है
आईना बेचता फिरा शायर
उस शहर में जो शहर अंधा है
कभी कभी पाठकजी ऐसे शब्दों का भी ख़ूबसूरत इस्ते माल करते हैं जो रोज़मर्रा के व्यवहार से ग़ायब हो गए हैं, मसलन ‘व्योम’ –
वे अपने क़द की ऊँचाई से अनजाने रहे होंगे
जो धरती की पताका व्योम में ताने रहे होंगे
अकेले किसके बस में था कि गोबर्धन उठा लेता
कन्हैया के सहायक और दीवाने रहे होंगे
पाठकजी का कहना है कि अगर उर्दू वाले ‘गगन’ जैसे संस्कृत शब्द का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर सकते हैं तो हमें ‘व्योम’ जैसे म्यूज़िकल शब्दों के इस्तेमाल में कंजूसी नहीं करनी चाहिए । अंत में पाठक जी का एक मुक्तक आप सबकी नज़र कर रहा हूं-
यह मेरी आस मिट नहीं सकती
रोशनी घट चली है आँखों की
रूप की प्यास मिट नहीं
काव्य संकलन ‘फिर हरी होगी धरा’ स्टर्लिंग पब्लिशर्स, ए-59, ओखला इंड., फेज-2, नई दिल्ली-110020 से प्रकाशित हुआ है। क़ीमत है 200/- रूपए।
आपका-
देवमणिपांडेय
सम्पर्क : बी-103, दिव्य स्तुति,
कन्या पाडा, गोकुलधाम, फिल्मसिटी रोड,
गोरेगांव पूर्व, मुम्बई-400063, 98210-82126