tag:blogger.com,1999:blog-765514892586429286.post7806222857598955683..comments2023-08-18T09:05:14.983-07:00Comments on Apna To Mile Koi : शायर हसन कमाल को जीवंती गौरव सम्मानदेवमणि पांडेय Devmani Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/09583435334580761206noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-765514892586429286.post-57735107351357964192010-06-11T05:04:12.433-07:002010-06-11T05:04:12.433-07:00प्रिय देवमणी जी
मैं सुभाष शर्मा यह ईमेल आपको आ...प्रिय देवमणी जी <br /> <br />मैं सुभाष शर्मा यह ईमेल आपको आस्ट्रेलिया से लिख रहा हूँ। आप की हिन्दी की गति विधियों के सम्बन्ध में मुझे जब तब ईमेल इधर उधर से मिलते रहते हैं। आपके प्रयासों से साहित्य लोगों तक पहुँच रहा है। हिन्दी उर्दू के महान हस्तियों को एक लिफ़ाफ़े में बंद कर आप जो हम सब तक निरंतर रूप से भेजते हैं वह बहुत ही सराहनीय कार्य है। लगे रहिये, चाहे माँ हो या मात्र भाषा हम सदा ही इनके ऋणी रहेगे। धन्य हैं वे जिन्हें इनकी सेवा करने का अवसर मिलता है। वरना हम जैसे बहुत से लोग विदेश में बैठ कर सिर्फ गाल बजा रहे हैं, और न इधर के हैं ना उधर के ही। <br /> <br />लीजिये जायका बदलने के लिए आपको अपनी पीड़ा अपनी कविता के माध्यम से पहुंचा दूं –<br /><br />अपने ही देस में अपने ही लोगन के <br />दांव पेंच देखि हम विदेस भाजि आए है<br />भेद भाव धन आभाव देखि के मन मुटाव <br />हियाँ देखो आज हम चैन तनिक पाए है<br /> <br />पेट काटि बाप ने पाले थे पांच पूत <br />उन सबमें एक बस हम ही पढि पाए हैं<br />उन्हें छोड़ छाडि पाछे उनके ही हाल पे<br />दांव पाइ आज हम विदेस भाजि आए हैं<br /> <br />मान हानि ताक़ धरि अपनेंन को दूरि करि <br />धरती के दुसरे छोर पे हम आए हैं<br />पैसा ही पैसा पैसा की मार देखि<br />सगी माँ को दे तलाक सौतेली पाए हैं<br /> <br />कबहूँ अकुलात मन कबहूँ उकतात मन <br />कबहूँ हम अपने ही देस को गरियात हैं <br />कोंई अनजान जब माटी को देत लात<br />काहे छोडि आए हम जिया पछितात है<br /> <br /> सुभाष शर्मादेवमणि पांडेय Devmani Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/09583435334580761206noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765514892586429286.post-24108170261868998422010-06-09T07:58:47.162-07:002010-06-09T07:58:47.162-07:00क्या बात है ... शुक्रिया .... शुक्रिया ... कमाल के...क्या बात है ... शुक्रिया .... शुक्रिया ... कमाल के शेर पढवाए आप ने ...अमिताभ मीतhttps://www.blogger.com/profile/06968972033134794094noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765514892586429286.post-7417059113320284442010-06-09T05:06:43.531-07:002010-06-09T05:06:43.531-07:00wah wahwah wahमाधव( Madhav)https://www.blogger.com/profile/07993697625251806552noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765514892586429286.post-63789999714368513582010-06-09T05:05:43.392-07:002010-06-09T05:05:43.392-07:00आहा ! पाण्डेय जी, क्या रंग जमा... खूब जमा...
हम त...आहा ! पाण्डेय जी, क्या रंग जमा... खूब जमा...<br /><br />हम तो इस पोस्ट प्रस्तुति से ही भीग गए. आपसे संवाद कायम रहे और क्या...Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765514892586429286.post-89988430615443407152010-06-09T02:50:18.175-07:002010-06-09T02:50:18.175-07:00देवमणि जी ऐसे शानदार कार्यक्रम की हमें भनक भी नहीं...देवमणि जी ऐसे शानदार कार्यक्रम की हमें भनक भी नहीं लगने दी और सारा मज़ा खुद ही लूट ले गए...आप तो ऐसे ना थे...जिस दिलचस्प अंदाज़ में आपने इस मुशायरे का जिक्र किया है उसे पढ़ कर वहां मोजूद ना रह पाने का मलाल कई गुना बढ़ गया है...थोडा सा करम हम पे भी फरमा दिए करें तो हम भी ऐसे बेजोड़ शायरों को देख सुन अपना जीवन धन्य करलें...<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com