बुधवार, 30 जुलाई 2014

सावन आया गाँव में सबका पूछ रहा है हाल




सावन आया गाँव में सबका पूछ रहा है हाल

नाच रही हैं छत पर बूँदें पुरवा ने दी ताल
सावन आया गाँव में सबका पूछ रहा है हाल

मेढक मिलकर बिरहा गाते कोयल कजरी गाए
दुबक के बैठी है गोरैया कौवा शोर मचाए
दादी को लगती है बारिश अब जी का जंजाल

सावन आया गाँव में सबका पूछ रहा है हाल

दिन में बारिश हुई झमाझम पानी बहता जाए
मोबाइल में बिजी है बचपन कश्ती कौन चलाए
टीवी देख रहे सब घर में सूनी है चौपाल

सावन आया गाँव में सबका पूछ रहा है हाल

खेतों में घुटनों तक पानी उफन रहे हैं नाले
दलदल में फँस गया ट्रैक्टर बाहर कौन निकाले
बाँध के रस्सी खींच रहे हैं बैल हुए बेहाल

सावन आया गाँव में सबका पूछ रहा है हाल

महँगू की गिर गई मड़ैया टूट के बरसा पानी
घर में बैठी सोच रही है रामधनी की नानी
कहाँ पड़ेगा झूला कट गई पीपल वाली डाल

सावन आया गाँव में सबका पूछ रहा है हाल

-----देवमणि पांडेय 

सम्पर्क : 98210-82126



5 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

वाह..बहुत बढ़िया..

Anita ने कहा…

बहुत सुंदर भाव व शब्द..

मन के - मनके ने कहा…


वाह!
सावन आया झूम कर पूछ रहा है हाल.

भूपेन्द्र कुमार ने कहा…

वाह। गीत दिल को छू गया, विशेषकर ये पंक्तियाँ-

दिन में बारिश हुई झमाझम पानी बहता जाए
मोबाइल में बिजी है बचपन कश्ती कौन चलाए
टीवी देख रहे सब घर में सूनी है चौपाल

सावन आया गाँव में सबका पूछ रहा है हाल

-भूपेन्द्र

भूपेन्द्र कुमार ने कहा…

वाह। गीत दिल को छू गया, विशेषकर ये पंक्तियाँ-

दिन में बारिश हुई झमाझम पानी बहता जाए
मोबाइल में बिजी है बचपन कश्ती कौन चलाए
टीवी देख रहे सब घर में सूनी है चौपाल

सावन आया गाँव में सबका पूछ रहा है हाल

-भूपेन्द्र