सोमवार, 20 जनवरी 2014

देवमणि पाण्डेय की ग़ज़ल : पलकों-पलकों हर चेहरे पर



देवमणि पाण्डेय की ग़ज़ल

पलकों-पलकों हर चेहरे पर ठहरा रहता जाने कौन
दिल में प्यार का दरिया बनकर बहता रहता जाने कौन

दुनिया है इक भूलभुलैया लोग यहाँ खो जाते हैं
हर पल मेरा हाथ पकड़कर चलता रहता जाने कौन

कभी किसी मासूम के दिल पर अगर कोई मुश्किल गुज़री
मेरे लबों पर बनके दुआएँ महका रहता जाने कौन

अक्सर जब तनहा होता हूँ रात के गहरे साए में
दीपक बनकर लमहा-लमहा जलता रहता जाने कौन

कोई अब तक देख न पाया,और न कोई जान सका
हर पत्थर में, हर ज़र्रे में उभरा रहता जाने कौन

 
देवमणि पाण्डेय के ग़ज़ल संग्रह अपना तो मिले कोई का लोकार्पण समारोह 

पहली पंक्ति (बाएं से दाएं)- शायर ज़मीर काज़मी, चित्रकार कमल जैन, कवि डॉ.बोधिसत्व, कवयित्री माया गोविंद, गायक राजकुमार रिज़वी, शायर राम गोविंद अतहर और हास्य कवि सर्वेश अस्थाना। पिछली क़तारों में संगीतकार विवेक प्रकाश, अभिनेता आकाश, अभिनेत्री आशा सिंह, शायर यूसुफ़ दीवान, व्यंग्यकार अनंत श्रीमाली, शायर खन्ना मुजफ़्फ़रपुरी, कवि नंदलाल पाठक, पत्रकार प्रीतम कुमार त्यागी, रेडियो उदघोषिका प्रीति गौड़, संगीतकार ललित वर्मा आदि  हैं। रविवार 12 फरवरी 2012" भवंस कल्चर सेंटर, मुम्बई।



देवमणि पाण्डेय : 98210-82126


10 टिप्‍पणियां:

  1. कभी तो अब्र बनकर झूमकर निकलो कहीं बरसों
    कि हर मौसम में ये संजीदगी अच्छी नहीं लगती
    ****
    सूरज का हाथ थाम के जब शाम आ गई
    बच्चे ने गीली रेत पर इक घर बना दिया
    ****
    फ़क़ीरी है, अमीरी है, मुहब्बत है, इबादत है
    नज़र आई है इक दुनिया मुझे जोगन की आँखों में
    ****
    मुमकिन हो तो खिड़की से ही रोशन कर लो घर-आँगन
    इतने चाँद सितारे लेकर फिर आएगी रात कहाँ
    ****
    खेतों को चिड़ियाँ चुग जातीं बीते कल की बात हुई
    अब तो मौसम भी फ़सलों को चर जाते हैं कभी-कभी

    सुभान अल्लाह...बेहतरीन शायरी है देव मणि भाई...दाद कबूल करें

    नीरज

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  2. भाई देवमणि जी, दफ़्तर से अभी लौटा हूँ और आपकी ग़ज़लें पढ़ने बैठ गया हूँ…दफ़्तर की सारी थकान मिट गई…क्या खूब ग़ज़लें कहीं हैं आपने…एक एक शेर दिल में उतरता जाता है… इतनी खूबसूरत ग़ज़लों को पढ़वाने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया !

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  3. devmani ji
    aapki gazale hamesha taazgi liye hoti hai , ye sher mujhe baut kareeb laga dil :

    कहाँ गई एहसास की ख़ुशबू, फ़ना हुए जज़्बात कहाँ

    हम भी वही हैं तुम भी वही हो लेकिन अब वो बात कहाँ

    aap jaadugar ho sir .
    vijay

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  4. AAPKEE MAHAK BHAREE GAZALON NE
    MUJHE BHEE BHAHAK BHARAA KAR DIYAA
    HAI .

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  5. बहुत सुन्दर गज़लें है आप सुनाते हैं तो और भी खूबसूरत हो जाती हैं..बहुत बधाई!!!

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  6. बहुत ही खूबसूरत ग़ज़लें हैं बधाई।
    -डॉ. रत्ना वर्मा

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  7. बेहद खूबसूरत गज़ल सर............................
    लाजवाब...
    एक एक शेर जैसे नगीना...

    सादर

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  8. आदरणीय अग्रज देवमणि पाण्डेय जी बहुत अच्छी ग़ज़लें पढ़ने को मिली |आभार |www.jaikrishnaraitushar.blogspot.com
    09005912929

    जवाब देंहटाएं
  9. सर बहुत ही अच्छी ग़ज़लें पढ़ने को मिलीं आभार |
    09005912929
    www.jaikrishnaraitushar.blogspot.com
    www.sunaharikalamse.blogspot.com

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